बदलती टेक्नोलॉजी ने लोगों का जीवन तो आसान बनाया है, लेकिन इसके दुरुपयोग से लोगों की डिजिटल सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। साइबर ठग हर रोज किसी न किसी के खाते से पैसे उड़ा लेते हैं। साइबर ठग इतने शातिर होते होते हैं कि सरकार जागरूकता कार्यक्रम से जब तक लोगों को खास तरीके की ठगी से बचने का उपाय बताती, तब तक ये साइबर ठग कोई नया तरीका से लोगों को अपने जाल में फंसाने का काम शुरू कर देते हैं।
एक बहुत ही कॉमन तरीका है जिसके जरिए साइबर ठग लोगों को अपने जाल में फसा लेते हैं। ये साइबर ठग आपके साथ एक क्यू आर कोड शेयर करेंगे या कोई यूपीआई आईडी और फिर एक अननोन नंबर से आपके पास कॉल करके कहेंगे कि आपने हमारी कंपनी की तरफ से इनाम जीता हैं।इस इनाम को अपने खाते में ट्रांसफर करने के लिए कोड को स्कैन करें और अपने यूपीआई पिन को डालें ताकि आपके बैंक अकाउंट को हमारी कंपनी वेरिफाई कर सके।ध्यान देने वाली बात यह है कि अधिकतर लोग यहीं पर गलती कर बैठते हैं और अपने यूपीआई पिन को डाल देते हैं, जिससे उनके खाते के पैसे सफाचट हो जाते हैं।
साइबर ठगों को लोगों का विश्वास जितने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है और इसे एथिकल हैकिंग की भाषा में सोशल इंजीनियरिंग कहा जाता है, जिससे लोगों का विश्वास जीता जा सके। ऐसे में आप अपने दिमाग में एक बात को गांठ बांधकर रख लीजिए कि अपने बैंक अकाउंट में पैसे मंगवाने के लिए कभी भी यूपीआई पिन की जरूरत नहीं पड़ती।कभी भी ऐसे कॉल को रिसीव न करें जिसके नंबर के पहले कोई अजीब कोड दिखाई दे, जैसे कि +15, +1111, +1700 + 0000 इत्यादि. ध्यान रहे कि ये साइबर ठग किसी भी कोड से कॉल कर सकते हैं और आपको पैसे भेजने के लिए मजबूर कर सकते हैं। ऐसे में अगर आपको कुछ नहीं समझ आता कि क्या करना चाहिए, तो इस स्थिति में जल्दी से आपको अपने परिवार वालों को बताना चाहिए।
एसएमएस, ईमेल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्राप्त होने वाले संदिग्ध लिंक पर कभी भी क्लिक न करें।बड़ी रकम का वादा करने वाले अनचाहे ईमेल, कॉल और संदेश नकली होते हैं। अपनी मेहनत की कमाई को जोखिम में न डालें।
रिजर्व बैंक के नाम पर एसएमएस, फोन, ईमेल से धोखा न खाएं, जिसमें कहा गया हो कि आपका कार्ड ब्लॉक कर दिया गया है या आपको बड़ी रकम देने का वादा किया गया है।
एसएमएस या ईमेल के माध्यम से प्राप्त लिंक पर क्लिक कर अपने बैंक खाते का विवरण न दें। केवल अपने बैंक की आधिकारिक साइट या अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड के पीछे दी गई जानकारी पर भरोसा करें।