ईडी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिए जाने के बाद झारखंड की बागडोर चंपई सोरेन ने संभाला है।चंपई सोरेन को शिबू सोरेन परिवार के विश्वासपात्र के रूप मे जाना जाता है।राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को चंपई सोरेन को झारखंड के मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी ।चंपई सोरेन के साथ कांग्रेस से आलमगीर आलम तथा आरजेडी से सत्यानंद भोक्ता ने भी मंत्री पद की शपथ ली।बात बसंत सोरेन के भी उपमुख्यमंत्री बनने की आई थी,जो फिलहाल नेपथ्य की गूंज बनकर रह गई है,क्योंकि राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन ने फिलहाल बसंत सोरेन को उपमुख्यमंत्री बनाने में अपनी असमर्थतता प्रकट कर दी।मुख्यमंत्री के रूप में चंपई सोरेन के नेतृत्व में बनी सरकार का कार्यकाल 11 महीने का होगा। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने चंपई सोरेन की सरकार को 5 या 6 जनवरी को सदन में अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए कहा था इस पर चंपई सोरेन ने 5 फरवरी का दिन तय किया। 6 जनवरी को राज्यपाल का राधाकृष्णन का सदन में अभिभाषण होगा।
उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेते-लेते रह गए बसंत सोरेन
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने गुरुवार रात 11:00 बजे चंपई सोरेन को मनोनीत मुख्यमंत्री नियुक्त किया और अगले दिन शपथ ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया।साथ ही उसी समय उनसे शपथ लेने वाले मंत्रियों के नाम भी मांगे गए।रात में ही चंपई सोरेन ने अपने साथ दो मंत्रियों कांग्रेस से आलमगीर आलम और आरजेडी से सत्यानंद भोक्ता का नाम राजभवन को दे दिया।इधर शुक्रवार सुबह बसंत सोरेन को भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने की बात होने लगी। सुबह करीब 10:00 बजे इसके लिए राज भवन से बात की गई, लेकिन वहां से जवाब आया कि अभी अब यह संभव नहीं है,क्योंकि मंत्रियों के नाम का वारंट जारी हो चुका है। इस प्रकार से झारखंड में शुक्रवार को गठित चंपई सोरेन के मुख्यमंत्रित्व वाली नई सरकार में जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन का बेटा और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का छोटे भाई बसंत सोरेन उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेते-लेते रह गए। इसके लिए अब उन्हें कैबिनेट के बिस्तर तक इंतजार करना होगा।
चंपई सोरेन से पहले जेएमएम में शिबू सोरेन या इनके परिवार से ही कोई बनता था मुख्यमंत्री
झारखंड में अब तक जब भी झारखंड मुक्ति मोर्चा को शासन करने का अवसर मिला है, तब तब मुख्यमंत्री शिबू सोरेन या इनके परिवार का ही कोई सदस्य बना है।इस क्रम में सबसे पहले शिबू सोरेन ने 2005 ईस्वी में कांग्रेस के सहयोग से कांग्रेस के सहयोग से राज्य में सत्ता संभाली थी,लेकिन यह सरकार 10 दिन ही चल पाई। इसके बाद वे 28 अगस्त को संसद सदास्य रहते हुए मुख्यमंत्री बने,लेकिन उपचुनाव हार जाने की वजह से इन्हें 18 जनवरी को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद फिर ये तीसरी बार 30 दिसंबर 2009 को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बै,ठे लेकिन फिर इन्हें31 मई 2009 को इस्तीफा देना पड़ा था।
इसके बाद 2 सत्र के लिए शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।हेमंत सोरेन ने पहली बार 17 महीने के लिए 2013 में सत्ता संभाली और दूसरी बार 2019 में 4 वर्ष 1 महीना तक जबकि उन्हें ईडी के आरोप की वजह से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
शिबु सोरेन परिवार से इतर जेएमएम सरकार में पहला मुख्य मंत्री बने चंपई सोरेन
यह पहली दफा है, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने शिबू सोरेन या सोरेन परिवार की जगह, इससे अलग किसी अन्य परिवार के सदस्य को मुख्यमंत्री बनवाया है। ईडी की वजह से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इस्तीफा के बाद उत्पन्न राजनीतिक संकट की स्थिति में नए मुख्यमंत्री के लिए परिवार के दो विधायक सीता सोरेन और बसंत सोरेन के नाम पर मुख्यमंत्री के लिए कोई विचार ही नहीं किया गया,जबकि हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन पर विचार किया गया तो विधायक न होने के वजह से 11 महीने का बचा कार्यकाल मुख्यमंत्री के रूप में तय करने के मार्ग में काफी कातिनाई को देखते हुए बाद,इनकी चर्चा भी बंद हो गई।इन सब बातों को मद्दे नजर रखते हुए हेमंत सोरेन ने इस्तीफा देने से पूर्व सत्ताधारी विधायक दल की बैठक में शिबू सोरेन और अपने प्रति निष्ठा रखने वाले विधायक चंपई सोरेन को अपने बाद बचे हुए सत्र या खुद के गिरफ्तारी से मुक्त होने तक के लिए मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया।इसके बाद जब ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया तो चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बने जो शिबू सोरेन परिवार से इतर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार में पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं।
मुख्यमंत्री ने की कैबिनेट की पहली बैठक राजीव रंजन एजी नियुक्त
शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कैबिनेट की पहली बैठक की।कैबिनेट सचिव वंदना ने बताया कि प्रोजेक्ट भवन में कैबिनेट की बैठक में तीन प्रस्तावों पर स्वीकृति प्रदान की गई।कैबिनेट ने 9 से 29 फरवरी तक आहुत विधानसभा के बजट सत्र को स्थगित करने का निर्णय लिया।साथ ही 5 से 6 फरवरी को विधानसभा आहुत करने पर सहमति प्रदान की। कैबिनेट ने पूर्व महाधिवक्ता राजीव रंजन को फिर से झारखंड के महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त करने की प्रस्तावों को भी मंजूर किया।
सत्ता पक्ष के विधायक हैदराबाद के रिसोर्ट में शिफ्ट
झारखंड में मची सियासी हलचल के बीच सत्ताधारी पक्ष के विधायक हैदराबाद शिफ्ट हो गए हैं। विधायकों का ठिकाना भव्य लियोनी रिसॉर्ट बना है। विधायक शपथ ग्रहण समारोह से पहले हैदराबाद के लिए रवाना हो गए थे। विधायकों को गुरुवार को ही हैदराबाद जाना था, लेकिन मौसम खराब होने के कारण नहीं जा पाए थे।विधायक शुक्रवार को वहां पहुंचे। तेलंगाना सरकार हैदराबाद पहुंचे झारखंड के विधायकों की खातिरदारी में जुटी हुई है। सत्ता पक्ष के विधायक 5 फरवरी को सरकार के बहुमत सिद्ध करने के दिन झारखंड पहुंचेंगे। सत्ता पक्ष के 37 विधायक और मनोनीत विधायक जोसेफ गोलस्टिन हैदराबाद के रिसोर्ट पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, मंत्री आलमगीर आलम,सत्यानंद भोक्ता ,विधायक प्रदीप यादव, विनोद सिंह,बसंत सोरेन, चमरा लिंडा,सीता सोरेन, लोबीन हेंब्रम और रामदास सोरेन हैदराबाद नहीं गए हैं। वहीं जेएमएम नेता विनोद पांडेय और प्रणव झा भीहैदराबाद गए हैं।
राहुल गांधी ने विधायकों से बात की न्याय यात्रा में शामिल होने से किया मना
कांग्रेस के विधायक हैदराबाद नहीं जाना चाहते थे,बल्कि वे राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल होना चाहते थे,जो इस समय झारखंड में प्रवेश कर चुकी है ।राहुल गांधी 2 फरवरी से झारखंड में पाकुड़ से यात्रा शुरू कर चुके हैं।
संथाल परगना के विधायकों का कहना था कि पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद राहुल गांधी ने पार्टी के विधायकों से बात की। राहुल गांधी ने कहा कि आप हैदराबाद हैं और पार्टी संगठन को अपना काम करने दीजिए। कभी-कभी नेतृत्व के बिना भी संगठन कम करें।