न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर आपराधिक मामले में अभियुक्त की संपत्ति को ध्वस्त करने के लिए राज्यों की और से बुलडोजर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि अवैध तरीके से की गई ऐसी कार्रवाई संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है। हालांकि शीर्ष अदालत का यह आदेश सड़कों,फुटपाथों, रेलवे लाइनों,जलाशयों के अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने आदेश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख एक अक्टूबर तक कोर्ट की अनुमति के बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह निर्देश पारित किया है।
पीठ ने राज्य सरकारों की और से दंडात्मक उपाय के रूप में आपराधिक मामलों के आरोपियों के भवनों को ध्वस्त करने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर यह आदेश दिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वैधानिक अथॉरिटी के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते। इस पर पीठ ने कहा कि अगर एक दो सप्ताह के लिए तोड़फोड़ रोक दी जाए तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा। जस्टिस गवई ने कहा कि अपने हाथ रोक लीजिए। 15 दिनों में क्या होगा? जस्टिस विश्वनाथन ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर अवैध रूप से ढहाने का एक भी मामला है तो यह संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है। सुप्रीम कोर्ट जमीयत उलमा ए हिंद व अन्य की और से कई राज्यों में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रोकने के निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।