न्यूज़ डेस्क
इधर भारत में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जी 20 की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं और भारत के कई डिफेंस डील कर रहे हैं और उधर चीन ने मोबाइल बनाने वाली अमेरिकी कंपनी को बड़ा झटका देते हुए उस पर प्रतिबन्ध .अप्पाल का चीन में बड़ा बाजार है। चीन के अधिकतर कर्मचारी अप्पाल मोबाइल का ही इस्तेमाल करते रहे हैं। लेकिन अब चीन ने अपने कर्मचारियों को यह फ़ोन रखने से मन कर दिया है। चीन के इस खेल से एप्पल को बड़ा झटका लगा है और मात्र दो दिनों में इसे 20 हजार करोड़ का नुकसान हो गया है। एप्पल का शेयर बाजार लगातार गोते खा रहा है।
दरअसल चीन ने आईफोन के इस्तेमाल को रेगुलेट करने का निर्णय लिया है। इसके तहत आईफोन के इस्तेमाल पर पाबंदियां लगाई गई हैं। चीन ने अपने सरकारी अधिकारियों को एप्पल आईफोन का इस्तेमाल करने से मना किया है। खबरों की मानें तो चीन की योजना एप्पल के आईफोन पर लगाई गई पाबंदियों को और कड़ा करने की है। चीन की सरकार अपनी कंपनियों के कर्मचारियों को भी आईफोन के इस्तेमाल से प्रतिबंधित करना चाह रही है।
एप्पल का शेयर अभी 178 डॉलर के आस-पास आया हुआ है। पिछले कुछ दिनों में एप्पल के शेयरों में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। यह अभी अपने ऑल टाइम हाई लेवल से काफी नीचे कारोबार कर रहा है। एप्पल के शेयर का ऑल टाइम हाई लेवल 198.23 डॉलर है। शेयरों में आई इस गिरावट का नुकसान एप्पल को एमकैप के रूप में हुआ है। 2 दिन पहले तक एप्पल 3 ट्रिलियन डॉलर यानी 3 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा वैल्यू वाली कंपनी थी। अभी कंपनी का एमकैप कम होकर 2.79 लाख करोड़ रुपये रह गया है। इस तरह से देखें तो कंपनी ने सिर्फ 2 ही दिन में 20 हजार करोड़ डॉलर से ज्यादा का नुकसान उठाया है।
चीन के इस कदम ने एप्पल के शेयरों पर सीधा असर डाला है। यह असर अस्वाभाविक भी नहीं है. दरअसल एप्पल के लिए चीन कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है। चीन एप्पल के लिए अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार और सबसे बड़ा विदेशी बाजार है। एप्पल खासकर आईफोन की ग्रोथ में चीन की खपत का बहुत बड़ा योगदान है।
दूसरी ओर आईफोन समेत एप्पल के कई प्रोडक्ट की मैन्यूफैक्चरिंग का सबसे बड़ा बेस भी चीन ही है। एप्पल फॉक्सकॉन और उसके जैसी अन्य कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग फर्म से अपने डिवाइस बनवाती है। अभी फॉक्सकॉन ही एप्पल की सबसे बड़ी सप्लायर है, जिसका मैन्युफैक्चरिंग बेस लंबे समय से चीन बना हुआ है। एप्पल और उसकी सप्लायर कंपनियां चीन से मैन्युफैक्चरिंग को शिफ्ट करने का प्रयास कर रही हैं। इसमें भारत एक बेहतर विकल्प बनकर उभरा है, लेकिन अभी भी कुल मैन्युफैक्चरिंग में चीन का हिस्सा बहुत बड़ा है।


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