बीरेंद्र कुमार झा
औपनिवेशिक काल की तीन आपराधिक कानूनों की जगह पर नए कानूनों को लागू करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।इस याचिका में कहा गया है कि तीनों नए कानून अंग्रेजो के कानून को खत्म करने में कारगर नहीं है।यह कानून पुलिस शासन को बढ़ाने की ओर उठाया जा रहा है एक कदम है।वकील विशाल तिवारी ने यह याचिका फाइल करते हुए तीनों नए कानूनों पर रोक लगाने की मांग की है। गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र में इन तीनों विधेयकों को मंजूरी दी गई है ।इसके बाद 21 दिसंबर को इन कानूनों को लागू भी कर दिया गया है।
बिना बहस ही बना दिए गए ये कानून
वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर अपनी याचिका में कहा गया है कि बिना संसदीय बहस के ही सत्ताधारी बीजेपी सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 के अंतर्गत 3 विधेयक को कानून बना दिया। गौरतलब है कि 2023 ई के शीतकालीन सत्र के दौरान जब सर्वाधिक 146 सांसदों को निलंबित करने जैसा ऐतिहासिक फैसला बीजेपी ने लिया था, तब सांसदों के निलंबन की उस स्थिति में ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अंग्रेजों के जमाने की आपराधिक कानून के की जगह पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 के अंतर्गत तीन नए विधेयक पास करा लिए।राष्ट्रपति की इस विधेयकों पर हस्ताक्षर के बाद अब यह विधेयक कानून का भी रूप ले चुका है।याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि इस नए कानून में हिरासत की अवधि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। इसके अलावा संपत्ति की कुर्की से सुरक्षा और इलेक्ट्रॉनिक सबूत की स्वीकार्यता के लिए प्रावधान नहीं है।
पुलिस को दी गई विशेष शक्तियां
याचिका कर्ता विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में कहा कि औपनिवेशिक काल में लोगों पर नियंत्रण करने के लिए बनाए गए कानून की जगह जो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 को पास किया गया है,इसमें पुलिस को बहुत ज्यादा शक्तियां मिल जाती है। ऐसे में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 औपनिवेशिक काल की निशानी मिटाने में सफल नहीं है।इसमें पुलिस को इतनी शक्ति दे दी गई है ,जिससे आम नागरिकों के अधिकार का हनन होगा।
याचिका का फैसला होने तक इस कानून पर लगे रोक
गौरतलब है कि विशाल तिवारी वह सख्श हैं,जो सुप्रीम कोर्ट में अडानी – हिंड्डेनबर्ग और अतीक अहमद हत्या मामले में पीआईएल दर्ज कर चुके हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 से जुड़ी इस याचिका के बारे में विशाल तिवारी का कहना है कि इस मामले में शीर्ष न्यायालय को सुप्रीम कोर्ट के किसी जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाना चाहिए। विशाल तिवारी ने यह भी मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट जो एक्सपर्ट कमेटी बनाए वह इन तीनों कानूनों की जांच करे।इसके अलावा याचिका में यह भी मांग की गई है कि एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट आने तक इन तीनों ही कानूनों पर रोक लगा दिया जाना चाहिए।