न्यूज डेस्क: इलाहाबाद हाईकोर्ट में अभिभावकों को बड़ी जीत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना के समय ली गई फीस को अधिक माना है,और स्कूलों को आदेश दिया है कि वो फीस का 15 प्रतिशत हिस्सा छात्रों को वापस करें या फिर उसे वर्तमान फीस में एडजस्ट करें।
लाखों छात्रों को मिली राहत
कोरोना काल में जिन अभिभावकों को स्कूल की फीस भरनी पड़ रही थी, उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने कोरोना काल में जमा की गई स्कूल फीस की 15 फीसदी राशि माफ करने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि कोरोना काल में जमा की गई स्कूल फीस माफ की जाएगी।
गुहार लगाने हाई कोर्ट पहुंचे थे अभिभावक
यह फैसला चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की बेंच ने दिया है। अभिभावकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर स्कूलों में जमा फीस माफ करने की मांग की थी। इन सभी याचिकाओं पर छह जनवरी को सुनवाई हुई थी और फैसला सोमवार को आया है।
कोरोना में बंद थे स्कूल
दरअसल, 2020-21 में कोरोना के चलते लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान सभी स्कूल बंद थे और सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई चल रही थी। इसके बावजूद स्कूल पूरी फीस वसूल रहे थे। इसके खिलाफ अभिभावकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका दायर कर अभिभावकों ने मांग की थी कि कोविड महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई कराई गई है, इसलिए उन्हें स्कूलों में उपलब्ध सुविधाएं नहीं मिली हैं। इसलिए वे सभी शुल्क देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।
क्या थी मांग?
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील दी कि 2020-21 में निजी स्कूलों ने ट्यूशन के अलावा कोई सेवा नहीं दी, ऐसे में ट्यूशन फीस से एक रुपया भी अधिक लेना मुनाफाखोरी और शिक्षा का व्यावसायीकरण के अलावा और कुछ नहीं होगा।
हाईकोर्ट ने क्या कहा ?
हाईकोर्ट ने साफ किया कि जब 2020-21 में सुविधाएं नहीं दी गईं तो 2019-20 के स्तर की फीस नहीं ली जा सकेगी। हाईकोर्ट ने 2020-21 में जमा की गई फीस का 15 फीसदी माफ करने का आदेश दिया है। यह आदेश राज्य के सभी स्कूलों पर लागू होगा। 2020-21 में लगने वाली फीस का 15 प्रतिशत माफ किया जाएगा।