विकास कुमार
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के साथ मुलाकात की है। अजित पवार ने दोनों नेताओं से बिहार में जाति जनगणना का ब्योरा मांगा है। पवार ने जाति गणना का काम महाराष्ट्र में भी करने की मांग की है। अजित पवार ने बिहार की तर्ज पर महाराष्ट्र में जाति आधारित गणना की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कदम से सभी समुदायों की सटीक आबादी का पता लगाने में मदद मिलेगी ताकि उसी अनुसार आनुपातिक लाभ दिया जा सके। अजित पवार ने कहा कि राज्य सरकार मराठा समुदाय की आरक्षण दिए जाने की मांगों को लेकर सकारात्मक है। मेरी राय है कि यहां जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। बिहार सरकार ने इसे अपने राज्य में लागू किया। इस तरह की कवायद से, हमे ओबीसी, एससी, एसटी, अल्पसंख्यकों , सामान्य वर्ग आदि की सटीक जनसंख्या का पता चल जाएगा। क्योंकि जनसंख्या के अनुपात के अनुसार ही सभी समुदायों को लाभ दिया जाता है।
अजित पवार का कहना है कि यह कवायद महाराष्ट्र में की जानी चाहिए। भले ही इसमें कुछ हजार करोड़ रुपए खर्च हों। क्योंकि यह जनता के सामने स्पष्ट तस्वीर पेश करेगी। अजित पवार ने कहा कि सरकार मराठा और धनगर समुदायों की आरक्षण की मांगों को लेकर सकारात्मक है लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के कदम से 62 फीसदी आरक्षण प्रभावित नहीं होना चाहिए। पवार ने कहा कि यदि मराठा और अन्य समुदायों को मौजूदा 52 फीसदी में से आरक्षण दिया जाता है तो इस खंड में लाभ प्राप्त करने वाले समूहों को निराशा होगी। हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि वर्तमान में 62 फीसदी से ऊपर प्रदान किया जा रहा आरक्षण न्यायालय में कानूनी रूप से टिके।
पवार ने कहा कि मराठा आरक्षण की मांग करने वाले कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र मांगा है ताकि मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत लाभ मिल सके जबकि ओबीसी श्रेणी के कई समूह ज्ञापन सौंप रहे हैं कि उनके वर्ग में किसी अन्य समुदाय को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। देश की राजनीति जाति और आरक्षण के इर्द गिर्द घूम रही है। इसलिए अजित पवार भी मौका देखकर जाति गणना करवाने की मांग कर रहे हैं।