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अयोध्या के बाद काशी और मथुरा मंदिर निर्माण के लिए यज्ञ की शुरुआत 

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न्यूज़ डेस्क
 आगामी चुनाव को राजनीतिक दलों को लड़ना है और जनता को वोट डालनी है लेकिन चुनावी खेल को आगे बढ़ाने के लिए कई तरह क्र धर्म कर्म भी चल रहे हैं। हालांकि किसी के लिए धर्म -कर्मा पर कोई मनाही नहीं है लेकिन जब किसी विब्ववादित जगह के लिए धर्म और यज्ञ का आयोजन किया जाता है तो समाज के भीतर दर पैदा होता है। कही समाज में टूट न हो जाए।    

अयोध्या में  में दिव्य और भव्य श्रीराम मंदिर में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ और मथुरा में दिव्य और भव्य मंदिर निर्माण संकल्प को लेकर माघ मेला के लोअर संगम क्षेत्र में यज्ञ शुरू हुआ है।

अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होने कि बाद के संगम लोअर स्थित शिविर में पहुँचे अमेठी जिले के बाबूगंज स्थित परमहंस आश्रम के महंत शिवयोगी मौनी महाराज ने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने 14 वर्ष (1989 से 2002) तक मौन धारण किया। उनका कहना है अयोध्या में दिव्य और भव्य श्रीराम मंदिर में रामलला की स्थापना हो गयी अब काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी और मथुरा में अयोध्या की तरह मंदिर निर्माण के बाद संकल्प की पूर्णाहुति करेंगे।

उन्होंने बताया कि तीस साल पहले जब अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष एवं आंदोलन चल रहा था, उस समय उन्हाेंने नित्य कम से कम ग्यारह सौ दीपक जलाकर अनुष्ठान करने का संकल्प लिया था। राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक वह सवा चार करोड़ से ज़्यादा दीप जला चुके हैं।

संत ने बताया कि माघ मेला क्षेत्र स्थित शिविर में यज्ञशाला तैयार किया गया है जहां नित्य हवन किया जाता है। इसमें 11 लाख रुद्राक्ष के मनकों से महाकाल का सवा पांच फुट ऊंचा शिवलिंग तैयार किया गया है। उसी के बगल में चार कुण्ड तैयार किए गए हैं जिसमें काशी विश्नाथ-ज्ञानवापी मंदिर निर्माण को लेकर यज्ञ किया जाता है।            

उन्होंने बताया कि विशाल यज्ञ वेदी के निकट चार चरणों में 5400 त्रिशूल की स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि हर साल कम से कम 1100, 2100 नहीं तो 100 त्रिशूलों की संख्या तो बढ़नी चाहिए। पिछले माघ मेला में 3300 त्रिशूलों की स्थापना की गयी थी जबकि संख्या बढ़कर इस बार 5400 तक पहुंच गयी है।
 

चार चरणों में स्थापित त्रिशूलों में काले रंग के घेरा वाले त्रिशूल आतंक के विनाश, महामारी के नाश के लिए, पीला त्रिशूल शत्रु पराजय की कामना के लिए लगाए गए , सफेद रंग के घेरे वाले त्रिशूल ज्ञान-विद्या की गंगा देश में सतत बहती रहे, लाल रंग के त्रिशूल देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ बनाने के लिए।

उन्होंने बताया कि यदि सब कुशल मंगल रहा तो कुंभ 2025 में 11 हजार त्रिशूलों की स्थापना करेंगे। इसके साथ ही करीब सवा करोड़ रूद्राक्ष के मनकों से दुनिया की सबसे बड़ी शिवलिंग मेला क्षेत्र में स्थापित करेंगे। इसकी ऊंचाई कम से कम 21 फिट होगी। उन्होंने बताया कि इतनी बड़ी तादाद में रूद्राक्ष की शिवलिंग स्थापित करने के लिए “रूद्राक्ष” की भिक्षा मांगेगे।                   

उन्होंने बताया कि यह एक कठिन चुनौती है पर उन्हें पूर्ण विश्वास है विश्वनाथ पूरा करेंगे।मौनी महराज ने बताया कि 1981 से उन्होंने श्रीराम के लिए संकल्पित जीवन यात्रा की शुुरूआत किया। । उन्होंने बताया कि अब तक 56 बार नेपाल, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, नासिक, उज्जैन, काशी आदि स्थानों पर भू समाधि और 27 बार जल समाधि ले चुके हैं। एक अरब 79 करोड़ आहुति करवाई है और एक हजार शोभा यात्रा श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए निकाल चुके हैं।

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