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आखिर तुषार गांधी ने क्यों कहा कि महात्मा गांधी की विरासत और पहचान बीजेपी और संघ को हमेशा परेशान किया !

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न्यूज डेस्क
एनसीईआरटी की किताबो से महात्मा गांधी से जुड़े कई चैप्टर को हटाए जाने के बाद महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी को टिप्पणी सामने आई है। एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए तुषार गांधी ने कहा है कि महात्मा गांधी की असली पहचान और विरासत ने बीजेपी और आरएसएस को हमेशा परेशान किया है। तुषार गांधी ने कहा कि एनसीईआरटी की किताबों से महात्मा गांधी से जुड़े तथ्य हटाए जाने से उन्हें आश्चर्य नहीं हुआ, लेकिन मुझे इस बात की चिंत हुई कि इस तरह के और प्रयास किए जाएंगे। तुषार गांधी ने कहा कि इन चैप्टर्स से ‘संघ परिवार के गलत सूचना के अभियान’ को बढ़ावा मिलेगा।

महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने कहा कि आरएसएस द्वारा इतिहास को मिटाने की इस कोशिश से मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। उन्होंने इतिहास को फिर से लिखने और स्थापित इतिहास को बदनाम करने की अपनी इच्छा के बारे में कुछ नहीं छुपाया है। तुषार गांधी ने कहा कि इससे दो उद्देश्यों की पूर्ति होती है- वे इतिहास का एक सुविधाजनक संस्करण लिखने में सक्षम हैं जो उन्हें सूट करता है और वह गांधी को उस रंग में रंग सकते हैं जिसमें वे उन्हें देखना चाहते हैं। तुषार गांधी ने कहा कि महात्मा गांधी की असल पहचान और विरासत ने संघ को हमेशा परेशान किया है।

बता दें कि पिछले साल एनसीईआरटी ने विभिन्न विषयों की किताबों से कई अध्याय और तथ्य हटाए थे। एनसीईआरटी द्वारा किए गए इन बदलावों के साथ अब यह नई किताबें छात्रों को पढ़ाई जानी हैं। ऐसे ही एक बड़े बदलाव के अंतर्गत एनसीईआरटी ने कक्षा 12 की पुस्तक में वह तथ्य भी हटा दिए हैं जिसमें कहा गया था कि महात्मा गांधी की हिंदू मुस्लिम एकता की खोज ने हिंदू चरमपंथियों को उकसाया। साथ ही वह पैराग्राफ भी हटा दिए गए हैं जिसमें महात्मा गांधी की हत्या के उपरांत आरएसएस पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध लगाने की जानकारी दी गई है।

बीते वर्ष एनसीईआरटी ने पाठ्य पुस्तकों से गुजरात दंगों का संदर्भ व मुगल साम्राज्य आदि चैप्टर हटाने का निर्णय लिया था। एनसीईआरटी ने छठी से 12वीं कक्षा तक अलग-अलग पुस्तकों में कई बदलाव किए हैं। कक्षा 12वीं की किताब पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस से राइज ऑफ पॉपुलर मूवमेंट्स और एरा ऑफ वन पार्टी डोमिनेंस को भी हटाया गया है। इसी प्रकार कक्षा 10वीं की पाठ्यपुस्तक ‘लोकतांत्रिक राजनीति-2’ से ‘लोकतंत्र और विविधता’, ‘लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन’, ‘लोकतंत्र की चुनौतियां’ पर अध्याय हटा दिए गए हैं। इसके साथ ही कई और तरह के बदलाव किए गए हैं ।सरकार द्वारा किए गए इस बदलाव की चारो तरफ निंदा की जा रही है ।

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