न्यूज डेस्क
कर्नाटक की चुनावी राजनीति से पीछे धकेले गए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने आज सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी।घोषणा से पहले उन्होंने अंतिम रूप से भाषण भी दिया और कहा कि “मैंने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया है, लेकिन बीजेपी को जिताने के लिए आखिरी सांस तक काम करूंगा। मेरा एकमात्र उद्देश्य बीजेपी को सत्ता में वापस लाना है और मुझे यकीन है कि ऐसा होगा।” बता दें कि कर्नाटक विधानसभा के बजट सत्र का आज आखिरी दिन था।
इससे पहले, बुधवार को येदियुरप्पा ने कहा था कि “मैं पहले ही घोषणा कर चुका हूं कि मैं इस बार चुनाव नहीं लड़ूंगा, लेकिन अपनी आखिरी सांस तक मैं सक्रिय रूप से पार्टी की सफलता के लिए काम करूंगा ।”
अपनी फेयरवेल स्पीच में येदियुरप्पा ने कहा कि कई मौकों पर विपक्ष ने यह टिप्पणी की थी बीजेपी ने मुझे दरकिनार कर दिया है, लेकिन मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मुझे चार बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है। इतने मौके किसी और नेता को नहीं दिए गए हैं। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सदा आभारी रहूंगा।”
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीएस येदियुरप्पा के विदाई भाषण की सराहना करते हुए कहा है कि यह पार्टी की नैतिकता को दर्शाता है। पीएम मोदी ने कहा, “बीजेपी के एक कार्यकर्ता के रूप में मुझे यह भाषण बहुत प्रेरक लगा। यह हमारी पार्टी की नैतिकता को दर्शाता है। यह निश्चित रूप से पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं को भी प्रेरित करेगा ।”
गौरतलब है कि बीएस येदियुरप्पा 1988 में कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष बने थे। वह पहली बार 1983 में कर्नाटक विधानमंडल के निचले सदन के लिए चुने गए थे और तब से छह बार शिकारीपुरा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। लिंगायत समुदाय में इनकी काफी पकड़ रही है। बीजेपी को इस राज्य में स्थापित करने में येदियुरप्पा की बड़ी भूमिका मानी जाती है।
हालांकि सच ये है कि बोमई से सीएम बनने के बाद से ही यदि हाशिए पर चले गए थे।लेकिन बीजेपी लगातार यदि के संपर्क में रही।बीच में येडी की मुलाकात मोदी से भी दिल्ली में हुई थी तब माना गया था कि आगामी चुनाव के मद्देनजर येदि के हाथ में फिर से कर्नाटक की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।लेकिन ऐसा नही हुआ और येदियुरप्पा ने सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया ।