Homeदेश18 फ्लॉप फिल्मों के खुद को किया रीइन्वेंट, शम्मी कपूर बने सुपरस्टार

18 फ्लॉप फिल्मों के खुद को किया रीइन्वेंट, शम्मी कपूर बने सुपरस्टार

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बॉलीवुड के मशहूर कपूर परिवार से ताल्लुक रखने वाले शम्मी कपूर ने पहले साइंस में करियर बनाने की सोची थी, लेकिन बाद में अपने पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राज कपूर के नक्शे कदम पर चलते हुए फिल्म इंडस्ट्री में कदम रख दिया।यहां शुरुआत में शम्मी कपूर को खासा संघर्षों का का सामना करना पड़ा था।उनकी एक-एक कर लगातार आठ फिल्में फ्लॉप हो गई थी। लेकिन उन्होंने बाद में खुद में छिपे एक्टर को तलाश किया ।फिर उनका एक नए एक्टर के रूप में उनका आविर्भाव हुआ।।शम्मी कपूर के इस नए एक्टर वाले अवतार ने फिल्म जगत में एक से एक सुपरहिट फिल्में दीं।

अपने इस नए अवतार वाले एक्टर शम्मी कपूर ने जेम्स डीन और एल्विस प्रेस्ली से प्रेरणा लेते हुए हिंदी सिनेमा में एक नए तरह के हीरो की छवि बनाई।इस रूप में वे न केवल अपने समय के हीरो की पारंपरिक छवि को तोड़ने में सफल हुए, बल्कि उन्होंने हिंदी फिल्मों के हीरो के पूरे पैटर्न को ही बदल दिया। वह चुपचाप और सरलता से पेश आने वाले हीरो की छवि को छोड़कर एक उर्जावान और आत्मविश्वासी हीरो के रूप में उभरे, जिसे जीवन का आनंद लेने में कोई झिझक नहीं थी।उनके इस अनोखे स्टाइल ने आने वाली पीढ़ी के हीरो, जैसे जॉय मुखर्जी, जीतेंद्र, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती, गोविंदा, शाहरुख खान और उनके भतीजे रणबीर कपूर को भी प्रभावित किया।

1950 के दशक के हीरो को शम्मी कपूर ने “कायर और आत्मदया में डूबा हुआ” माना और उनमें “उमंग” और “उत्साह” जोड़ने का फैसला किया।उनकी यह सोच हिट रही।इस रूप में उन्होंने जंगली ,दिल तेरा दीवाना, प्रोफेसर, चाइना टाउन , ब्लफ मास्टर , कश्मीर की कली,तीसरी मंजिल , ब्रह्मचारी और प्रिंस जैसी फिल्में बनाई जिसने नउन्हें सुपरस्टार बना दिया।इन फिल्मों के सदाबहार गाने आज तक भी लोगों की ज़ुबान पर हैं।

1955 में गीता बाली से शादी के बाद भी जब शम्मी कपूर फिल्मों में सफलता नहीं पा सके तो वे फिल्म इंडस्ट्री छोड़कर असम की एक चाय बागान में नौकरी करने की सोचने लगे, लेकिन फिर नासिर हुसैन की स्क्रिप्ट और देव आनंद के फिल्म छोड़ने से शम्मी कपूर को तुमसा नहीं देखा फिल्म का हीरो बनने का मौका मिला। इस फिल्म ने उनके करियर को नई दिशा दी और इसके बाद उन्होंने लगभग एक दशक तक बॉलीवुड में रोमांटिक हीरो के रूप में राज किया। इसमें उनके अनोखे डांस मूव्स ने भी खास भूमिका निभाई थी।

समय के साथ शम्मी कपूर ने अपने आपको एक परिपक्व अदाकार के रूप में ढाल लिया था।ऐसे में उन्हें न तो अपने समय के अदाकारों के साथ काम करने में कठिनाई हुई और न जब नए स्टार्स का दौर शुरू हुआ तब उन्हें की कठिनाई हुई।सिल्वर स्क्रीन पर विभिन्न तरह के किरदारों को निभाने में उन्होंने महारत हासिल कर ली थी।फिल्म मनोरंजन में वे एक टैवर्न मालिक बने तो जमीर में घोड़े का ब्रीडर,फिल्म परवरिश में अमिताभ बच्चन के फोस्टर फादर, की भूमिका निभाई तो फिल्म विदाता में उन्होंने दिलीप कुमार के साथी ट्रेन ड्राइवर गुरबख्श की भूमिका निभाई।फिल्म रॉकी में वे डांस जज के रूप में नज़र आए। उनकी आखिरी फिल्म रॉकस्टार थी, जिसमें उन्होंने अपने पोते रणबीर कपूर के साथ म्यूजिक उस्ताद का किरदार निभाया था।

शम्मी कपूर एक बेहतरीन परफॉर्मर थे, एक महान कलाकार, जिन्होंने अपनी अदाकारी से हमें खूब हंसाया और गुदगुदाया. उनकी कलाकारी को आज भी याद किया जाता है. प्रभात खबर की पूरी टीम शम्मी कपूर की जयंती पर उन्हें दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करती है.

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