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प्रकाश गोपालराव पोहरे की हुई बड़ी नैतिक जीत, कोर्ट ने SII के CEO अदार पूनावाला को दिया 10 हजार करोड़ के मुआवजे का नोटिस

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न्यूज डेस्क
नागपुर के सिविल कोर्ट ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला को नोटिस जारी किया है। अवेकन इंडिया मूवमेंट के वरिष्ठ सदस्य और दैनिक देशोन्नती के एडिटर इन चीफ प्रकाश गोपाल राव पोहरे ने कोर्ट का रुख किया था। प्रकाश गोपालराव पोहरे ने अदार पूनावाला को दस हजार करोड़ रुपए के मुआवजे का नोटिस भेजा था।लेकिन जब इस नोटिस का कोई जवाब नहीं मिला तो उन्होंने नागपुर कोर्ट में केस दायर किया था। दस हजार करोड़ रुपए के मुआवजे के लिए तीन लाख रुपए बतौर कोर्ट फीस भरना होता है। यह राशि भी प्रकाश गोपालराव पोहरे ने ही कोर्ट में जमा करवाई,इसके बाद 15 अप्रैल को हुई सुनवाई में अदार पूनावाला के नाम से नागपुर कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया।

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला पर कोविशील्ड टीके के जानलेवा साइड इफेक्ट को जनता से छिपाने का गंभीर आरोप है। दरअसल कोवीशील्ड टीके की वजह से लोगों में खासकर युवाओं मे दिल का दौरा पड़ने की शिकायतों की बाढ़ आ गई है। इसके अलावा लकवा,जोड़ों का दर्द, अंधापन, बहरापन, डायबिटीज, किडनी फेल होना, कैंसर, त्वचा रोग और दिमागी समस्यायों की भी शिकायत सामने आई है। साथ ही किसी भी बीमारी से लडने की इंसान की शरीर की क्षमता कम हो जाने की भी शिकायत कोविशील्ड से भी जुड़ी हुई है। दुनिया भर में कई ऐसे शोधपत्र और शिकायतें सामने आए हैं। जिसमें कोरोना से ज्यादा टीके की वजह से लोगों की मौत होने की बात कही गई है।

ऐसे जानलेवा साइड इफेक्ट की वजह से इक्कीस यूरोपियन देशों में कोवीशिल्ड पर पाबंदी लगा दी गई है। लेकिन अदार पूनावाला और उनके भागीदार बिल गेट्स ने देश के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण से मिलकर भारत में ये टीका चलवाया। साथ ही तमाम शिकायतों के बावजूद ये झूठा दावा किया कि कोविशील्ड पूरी तरह से सुरक्षित है। झूठ बोलकर धोखे से और कई बार जबरदस्ती से टीकाकरण करवा के देश के करोडों लोगों की जान जोखिम में डाल दी गई।

भारत के करोड़ों लोगों की जिंदगी से जुड़ी ये लड़ाई प्रकाश गोपाल राव पोहरे लड़ रहे हैं। उनकी तरफ से पूर्व जज ओंकार काकडे और इंडियन बार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीलेश ओझा पैरवी कर रहे हैं। मानवता से जुड़े इस बेहद संवेदनशील संघर्ष में इंडियन लॉयर्स एंड ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन के करीब पांच सौ वकीलों ने भी अपना समर्थन दिया है। पोहरे के वकील पूर्व जज ओंकार काकडे की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने केस का संज्ञान लिया। कोर्ट ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला और विवेक प्रधान को नोटिस जारी कर दिया है। 20 अप्रैल 2023 तक कोर्ट में पूनावाला को खुद या अपने वकील के जरिए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने नोटिस में ये साफ कर दिया है कि अगर 20 अप्रैल 2023 को अदार पूनावाला खुद या अपने वकील के जरिए हाजिर होकर जवाब दाखिल नहीं करते हैं। तो उनकी गैर मौजूदगी में भी कोर्ट सुनवाई कर आदेश जारी करेगा। कोर्ट ने अदार पूनावाला को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट ने पूछा है कि टीके को सुरक्षित बताने के झूठे दावे को देखते हुए धोखे से टीका देने पर पाबंदी क्यूं ना लगाई जाए। कोर्ट ने अदार पूनावाला को अवेकन इंडिया मूवमेंट के सदस्यों के खिलाफ दुष्प्रचार करने से प्रतिबंधित करने के आदेश क्यों ना दिए जाएं। इस सवाल पर भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

अवेकन इंडिया मूवमेंट कई मोर्चे पर मानवता को बचाने की ये बड़ी लड़ाई लड़ रहा है। गौरतलब है कि डॉक्टर स्नेहल लुणावत की कोविशील्ड से मौत होने के मामले में भी एक हजार करोड़ रुपए के मुआवजे की याचिका दायर की गई है। इस याचिका में भी बॉम्बे हाईकोर्ट ने अदार पूनावाला और बिल गेट्स को नोटिस जारी किया है।

कोविशील्ड के जानलेवा साइड इफेक्ट के खिलाफ अवेकन इंडिया मूवमेंट, इंडियन बार एसोसिएशन और देशभक्त मानवाधिकार संगठनों ने आवाज उठाई है। सच्चाई के लिए आवाज उठाने वालों के खिलाफ तरह तरह के झूठे मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं। सच्चाई की आवाज को दबाने के लिए अदार पूनावाला ने पूणे पुलिस में एक झूठी शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत में अवेकन इंडिया मूवमेंट के सदस्यों को गिरफ्तार करने की मांग तक की गई थी। लेकिन पुणे पुलिस ने सीरम इंस्टीट्यूट की झूठी शिकायत को खारीज कर दिया। इसके बाद देश भर से अवेकन इंडिया मूवमेंट के करीब तीन हजार से अधिक सदस्यों ने सीरम इंस्टिटयूट को करीब 4 लाख करोड़ रुपए के मुआवजे के नोटिस भेजे। लेकिन इस नोटिस का भी कोई जवाब सीरम इंस्टीट्यूट और अदार पूनावाला ने नहीं दिया है।

अब नागपुर कोर्ट में 20 अप्रैल को प्रकाश गोपालराव पोहरे के द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब अदार पूनावाला को देना होगा। प्रकाश गोपालराव पोहरे एक संपादक के तौर पर पूरे देश की जनता की जिंदगी से जुड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस मुहिम में पूरे देश की जनता के समर्थन की जरूरत है। क्योंकि आपकी जिंदगी पर सबसे बड़ा अधिकार आपका है। किसी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी का नहीं। आइए इस मुहिम में पोहरे का हाथ मजबूत करिए। क्योंकि ये लड़ाई किसी एक व्यक्ति या संस्था की नहीं। बल्कि पूरी मानवता की है।

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