कोलकाता (बीरेंद्र कुमार): शुभेंदु अधिकारी को कोलकाता उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए अभयदान के विरुद्ध ममता सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की,लेकिन वहां सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने ममता सरकार की याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया। हालांकि बेंच ने ये जरूर कहा कि सरकार इस मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से संपर्क करे तो बेहतर होगा।
क्या हैं ममता सरकार की याचिका और इसपर क्या कहा सर्वोच्च न्यायालय ने ?
आसनसोल में मची भगदड़ में तीन महिलाओं की मौत के मामले में ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सरकार का कहना है कि कलकत्ता हाईकोर्ट के एक जज ने शुभेंदु अधिकारी पर एफआईआर न करने का आदेश देकर सरकार को मजबूर कर दिया है। लेकिन जिस तरह से भगदड़ में तीन महिलाओं को जान से हाथ धोना पड़ा उसमें केस दर्ज करना तो बनता है।
सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने ममता सरकार की याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया। हालांकि बेंच ने ये जरूर कहा कि सरकार इस मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से संपर्क करे तो बेहतर होगा। सीजेआई ने कहा कि सिंगल जज उपलब्ध नहीं हैं तो सरकार चीफ जस्टिस के पास जाकर अपनी फरियाद कर सकती है। सीजेआई के फैसले के बाद ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली।
पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। उनका कहना था कि हाईकोर्ट के जस्टिस राजशेखर मंथा ने शुभेंदु के खिलाफ केस दर्ज किए जाने पर रोक लगा रखी है। ऐसे में सरकार के हाथ बंधे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट चाहे तो सरकार के हाथ खोल सकता है। मामला गंभीर है क्योंकि तीन की मौत हुई है। वो प्रोग्राम शुभेंदु अधिकारी की निगरानी में आयोजित हुआ था। वो खुद भी उसमें मौजूद थे। उनके सामने ही भगदड़ मची जिसमें तीन महिलाओं की जान चली गई।
क्या था मामला ?
बीजेपी विधायक जितेंद्र तिवारी ने आसनसोल में कंबल वितरण का एक कार्यक्रम का आयोजत किया था। इसके मुख्य अतिथि बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी थे। अधिकारी ने वहां भाषण दिया और उसके बाद कंबल बांटने का कार्यक्रम शुरू हुआ। लेकिन इसी दौरान वहां भगदड़ मच गई और उस भगदड़ में तीन महिलाओं की मौत हो गई। शुभेंदु अधिकारी भगदड़ के बाद वहां से निकल गए। बंगाल पुलिस अभी तक मामले में केस दर्ज नहीं कर सकी है, क्योंकि पुलिस शुभेंदु अधिकारी को मुख्य आरोपी मान रही है जबकि उच्च न्यायालय ने उसपर एफआईआर करने से रोक लगा दी है।