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कांग्रेस को 1 सीट का भी दावेदार न मानने वाली आप ने कांग्रेस को दिल्ली में दी तीन सीटें

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लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात बनती दिख रही है।उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट बंटवारे के बाद अब आम आदमी पार्टी के साथ भी कांग्रेस की डील फाइनल होती दिख रही है ।सूत्रों के मुताबिक दोनों दलों के बीच दिल्ली में चार:तीन फार्मूले पर बात बन गई है। अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की दोस्ती पंजाब को छोड़कर तीन अन्य राज्यों में भी दिखेगी।

कांग्रेस और आप के बीच दिल्ली में 3:4 का फॉर्मूला

कांग्रेस और आप के बीच सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा गुरुवार शाम में या शुक्रवार तक होने की संभावना है ।सूत्रों की माने तो दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तीन:चार पर सहमति बन गई है। यानि आम आदमी पार्टी दिल्ली में चार सीट पर चुनाव लड़ेगी और 3 तीन सीटों को इसने अब कांग्रेस पार्टीके लिए छोड़ दिया है। इस सीट शेयरिंग के बाद अब कांग्रेस पूर्वी दिल्ली,उत्तर पूर्वी दिल्ली और चांदनी चौक से चुनाव लड़ेगी,जबकि आम आदमी पार्टी पश्चिमी दिल्ली,दक्षिणी दिल्ली, नई दिल्ली और दक्षिण पश्चिम दिल्ली सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेगी

कैसे बदला आम आदमी पार्टी ने अपना विचार

आम आदमी पार्टी ने पहले यह ऐलान कर दिया था कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस को मात्र एक सीट दे सकती है। आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद संदीप पाठक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए यहां तक कह दिया था कि आंकड़े के हिसाब से कांग्रेस एक भी सीट देने लायक नहीं है, लेकिन गठबंधन धर्म का पालन करते हुए कांग्रेस को एक सीट दी जाएगी ।उन्होंने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिले शून्य सीट का भी जिक्र किया था। हालांकि आम आदमी पार्टी के इस तेवर के बाद भी कांग्रेस के नेता चुप्पी साधे रहे।इस बीच दोनों के बीच बातचीत का क्रम आगे बढ़ाया गया। माना गया कि आम आदमी पार्टी ने प्रेशर गेम के तहत इस तरह का ऐलान किया था। बार-बार आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के बीच हुई बातचीत से आखिर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों के ही विचार में परिवर्तन आया और दिल्ली में सीटों को लेकर समझौता हो गया।

दिल्ली में कांग्रेस को तीन सीट देने के बदले आप को क्या मिला

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस को तीन सीट देने का फैसला किया है,तो इसके बदले में उसने गुजरात से लेकर हरियाणा तक हिस्सेदारी भी हासिल की है।सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस गुजरात में आम आदमी पार्टी को दो सीट देने पर राजी हुई है। इसके अलावा हरियाणा में भी आम आदमी पार्टी को एक सीट पर लड़ने का मौका दिया जाएगा। पंजाब में भले ही दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे ,लेकिन चंडीगढ़ में कांग्रेस के उम्मीदवार को आम आदमी पार्टी समर्थन देगी।इससे पहले दोनों दलों के साथ आने से चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी का मेयर बन चुका है।खबर यह भी है कि साउथ गोवा सीट से भी आम आदमी पार्टी ने अब अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का फैसला कर लिया है। अब यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे।

कभी कांग्रेस का गढ़ थी दिल्ली

पिछले एक दशक में भले ही दिल्ली में कांग्रेस को बेहद मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी का यह पहले बेहद मजबूत गढ़ रहा है। 2014 और 2019 में भले ही कांग्रेस दिल्ली की एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई, लेकिन 2009 में उसने यहां की सातों सीटों पर कब्जा जमाया था। राजनीति में आम आदमी पार्टी की एंट्री से पहले विधानसभा में भी लगातार 15 सालों तक कांग्रेस की ही सरकार रही थी। पिछले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस वोट शेयर के मामले में आम आदमी पार्टी से आगे रही थी। कांग्रेस ने 22.50 फ़ीसदी वोट पर कब्जा जमाया था तो आम आदमी को पार्टी को 18.1 0 फीसदी वोट ही मिले थे।चुनाव में बीजेपी ने 56 फ़ीसदी वोट लेकर दिल्ली की सभी सभी सीटों पर कब्जा कर लिया था।

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