न्यूज़ डेस्क
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अफ़्रीकी देश गैबॉन के राष्ट्रपति अली बोंगों ऑडिम्बा को चुनाव में विजेता घोषित किये जाने के तुरंत बाद ही उन्हें नजर बंद कर तख्तापलट की घोषणा कर दी गई। सैन्य अधिकारियों ने बुधवार को घोषणा की कि उन्होंने राष्ट्रपति अली बोंगो ओंडिम्बा से सत्ता छीन ली है। राष्ट्रीय टेलीविजन पर सेना की वर्दी में कई लोग नजर आए और उन्होंने एलान किया कि राष्ट्रपति को नजरबंद कर दिया गया है। सैन्य कार्रवाई के बाद राजधानी लिब्रेविले में सड़कों पक जश्न मनाया जा रहा है। गोलीबारी की खबरें भी आ रही हैं। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस कार्रवाई की निंदा की है। इससे पहले अफ्रीकी देश नाइजर में इसी तरह का तख्तापलट देखने को मिला था।
बुधवार को सरकारी टीवी पर जुंटा के एक प्रवक्ता ने कहा,’राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के ध्यान में लाया गया है कि अली बोंगो ओंडिम्बा को नजरबंद रखा गया है। प्रवक्ता ने आगे कहा कि अपदस्थ राष्ट्रपति अपने ‘परिवार और डॉक्टरों’ से घिरे हुए हैं। गैबॉन में रक्षा और सुरक्षा बलों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले अधिकारियों ने समाचार चैनल गैबॉन 24 पर एक टेलीविजन संबोधन में यह एलान किया
एक सैन्य अधिकारी ने कहा, गैबॉनी लोगों और संस्थानों के संरक्षण के गारंटर की ओर से सीटीआरआई (संस्थानों के संक्रमण और बहाली के लिए समिति) ने शासन को समाप्त करके शांति बनाए रखने का फैसला किया है। सैन्य अधिकारी ने एक प्रसारण में कहा कि चुनाव परिणाम शून्य हो जाएंगे और देश की सीमा को बंद कर दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा, गणतंत्र के सभी संस्थानों (विशेष रूप से सरकार, सीनेट, नेशनल असेंबली, संवैधानिक न्यायालय, आर्थिक और सामाजिक और पर्यावरण परिषद, और गैबॉन की चुनाव परिषद) को भंग कर दिया गया है।
खबरों के मुताबिक, फ्रांसीसी सरकार के प्रवक्ता ओलिवियर वेरन ने बुधवार को कहा कि फ्रांस ने गैबॉन में चल रहे सैन्य तख्तापलट की निंदा की है। उन्होंने आगे कहा कि फ्रांस जमीन पर बदलते घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है। उन्होंने कहा कि फ्रांस चाहता है कि चुनाव के परिणाम जब सामने आ जाएं तो उनका सम्मान किया जाना चाहिए।
इस हफ्ते के चुनाव में अली बोंगो के अलावा 18 उम्मीदवार दौड़ में थे, जिनमें से छह ने इस दौड़ को कम करने के प्रयास में पूर्व मंत्री और विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ओंडो ओसा का समर्थन किया। विपक्ष में कई लोग गैबॉन में बदलाव के लिए जोर दे रहे थे। शनिवार को हुए मतदान के बाद अशांति की आशंकाओं के बीच तनाव बढ़ रहा था। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने पारदर्शिता की कमी के बारे में बात की है।