प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव के पूर्व, चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद भारत को एक विकसित देश बनाने की बात कहते रहे हैं।यही कारण है कि बीजेपी के अल्पमत में रहने के बावजूद एनडीए की बहुमत वाली सरकार में पीएम मोदी के मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने तेजी से काम करना प्रारंभ कर दिया है। इसी सिलसिले में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी पदभार संभालते ही अगले 5 साल का एजेंडा तैयार कर लिया है। उनके इस पंचवर्षीय एजेंडे में मुख्य रूप से पाकिस्तान और चीन के साथ संबंध सुधारने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का मुद्दा प्रमुख है।
पाकिस्तान और चीन को लेकर भारत की समस्या
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगले 5 वर्षों के लिए पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी देश में और खासकर लोकतांत्रिक देश में किसी सरकार का लगातार तीन बार चुना जाना बहुत बड़ी बात होती है। दुनिया अब यह समझ चुकी है कि आज भारत में राजनीतिक स्थिरता है। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक पाकिस्तान और चीन का सवाल है, उन देशों के साथ हमारे संबंध अलग-अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग-अलग हैं। चीन के संबंध में हमारा ध्यान सीमा मुद्दों का समाधान खोजने पर आगे रहेगा, जबकि पाकिस्तान के साथ हम बरसों पुराने सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे का समाधान निकालने का प्रयास करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर लंबे समय से बातचीत चल रही है।संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के देश मुख्य रूप से दो भागों में बंटे
हुए हैं।हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकांश देश संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के पक्षधर हैं ,लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्तान चीन तथा यूक्रेन जैसे गिनती के देश समय-समय पर भारत की संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के मार्ग में रोड़ा अटकाते रहे हैं।चीन तो इस मुद्दे को लेकर विटो तक लगा चुका है,लेकिन भारत में लगातार तीन बार एक ही राजनीतिक दलों की सरकार बनने से पूरी दुनिया में भारत की विश्वसनीयता बढ़ी है।साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का वैश्विक प्रभाव भी लगातार बढ़ रहा है। दूसरे देशों की सोच में भी बदलाव आया है और उन्हें लगता है कि भारत वास्तव में उसका मित्र है। उन्होंने देखा है कि संकट के समय यदि कोई एक देश ग्लोबल साउथ के साथ खड़ा है, तो वह भारत है।दुनिया ने यह भी देखा कि जब हमने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ की सदस्यता को आगे बढ़ाया तो दुनिया ने हम पर भरोसा किया। अब हमारी जिम्मेदारियां भी बढ़ रही है। और ऐसे में हमें लगता है कि भारत को जल्दी संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य मिल जाएगी।