चुनाव आयोग ने इस बार चुनाव में हिंसा नहीं होने देने की प्रतिबद्धता दिखाई थी।वहीं दूसरी तरफ नक्सली वोट वहिष्कार की बात बोल रही थी,नतीजा देश में 19 अप्रैल को होने वाले पहले चरण के मतदान से 3 दिन पहले छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों की पुलिस से मुठभेड़ हुई है। पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में एक तरफ जहां पुलिस के तीन जवानों के घायल होने की खबर है,वहीं दूसरी तरफ अब तक नक्सलियों के 18 शव बरामद किए जा चुके हैं।साथ ही बड़ी संख्या में ऑटोमेटिक राइफल भी बरामद की गई है। जानकारी के मुताबिक पुलिस के तीन घायल जवानों को जंगल से निकलने के लिए अधिक फोर्स भेजा गया है । छोटे बैठी थाना क्षेत्र के मारे इलाके में मुठभेड़ अभी भी जारी है।
18 नक्सली ढेर ऑपरेशन अब भी जारी
एसपी कल्याण अलिसेल ने पुष्टि की है कि मुठभेड़ में 18 नक्सली मारे गए हैं।साथ ही उन्होंने बताया कि टॉप नक्सली कमांडर शंकर राव भी इस मुठभेड़ में मारा गया।शंकर राव 25 लाख का इनामी था। इस मुठभेड़ में घटनास्थल से 7 एक-47 राइफल के साथ एक इंसास और तीन एलएमजी भी बरामद हुई है।
नक्सल विरोधी अभियान पर निकली थी बीएसएफ की टीम
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मीडिया कर्मियों को बताया कि छोटे बेठिया पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत जंगल में उस समय गोलीबारी शुरू हुई,जब सीमा सुरक्षा बल और जिला रिजर्व गार्ड की एक संयुक्त टीम नक्सल विरोधी अभियान पर निकली थी। उन्होंने कहा कि गोलीबारी में 3 सुरक्षा कर्मी घायल हो गए हैं।
कांकेर में दूसरे चरण में है चुनाव
गौरतलब है कि कांकेर में 26 अप्रैल को दूसरे चरण में ही मतदान होना है।छत्तीसगढ़ में रायपुर और जगदलपुर के बीच स्थित कांकेर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा शामिल हैं, जिनमें से 6 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।इन विधानसभा सीटों में गुंडरदेही, संजारी बालोद, सिहावा, डोंडी लोहारा,अंतागढ़, भानुप्रतापपुर,कांकेर, और केशकाल शामिल हैं।मूल रूप से बस्तर जिला का हिस्सा रहा ,कांकेर 1998 ईस्वी में अलग जिला बन गया था।
सूबे के 14 जिलों में नक्सलियों का प्रभाव
छत्तीसगढ़ देश के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित राज्यों में से एक है।गृह मंत्रालय के मुताबिक छत्तीसगढ़ के 14 जिले बलरामपुर, बस्तर,बीजापुर, दंतेवाड़ा, धमरी,गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद,नारायणपुर, राजनंदगांव, सुकमा ,कबीरधाम और मुंगेली नक्सल प्रभावित है।आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में नर्सरी हमले में पिछले काफी दिनों से कमी नहीं आ रही है।देखा जाए तो सूबे में हर साल औसतन 330 से ज्यादा नक्सली हमले होते हैं और इनमें हर साल 45 जवान शहीद हो जाते हैं।