बीरेंद्र कुमार झा
देश में 13 ऐसे जिले हैं, जहां ईसाई धर्म का पालन करना खतरनाक होता चला जा रहा है।इनमें ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की 51 घटनाओं के साथ बस्तर जिला( छत्तीसगढ़) सबसे आगे है ।छत्तीसगढ़ के कूड़ा गांव में 14,उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में 14, जौनपुर रायबरेली व सीतापुर में 13- 13 कपूरपुर में 12, हरदोई ,महाराजगंज, कुशीनगर व मऊ में 10-10 और गाजीपुर तथा झारखंड के रांची में 9- 9 घटनाएं हुई है।यह बात यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कही है।इसमें 2023 के प्रथम 8 महीना की घटनाओं की चर्चा की गई है।
बुनियादी सार्वजनिक चीजों के उपयोग पर लगाई जाती है रोक
फोरम की ओर से बताया गया है कि सामाजिक बहिष्कार के 54 मामले मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ और झारखंड में हुए हैं। इस बहिष्कार में पीड़ितों को बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच जैसे गांव के जल स्रोत, आम सड़क आदि से वंचित करना शामिल है। कुछ मामलों में पीड़ितों को अपनी फसल काटने से भी रोका जाता है।
फोरम ने जारी किए हिंसा के आंकड़े
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के जारी रिपोर्ट के अनुसार इस साल के 8 महीना में भारत के 23 राज्यों से ईसाइयों की खिलाफ हिंसा की 525 घटनाएं दर्ज की गई है, जबकि 2022 में 502 घटनाएं हुई थी। उत्तर भारत के तीन बड़े राज्यों में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की सबसे अधिक घटनाएं देखी जा रही है। इसमें 211 घटनाओं के साथ उत्तर प्रदेश सबसे आगे है।उसके बाद 118 घटनाओं के साथ छत्तीसगढ़ और 39 घटनाओं के साथ हरियाणा है। 2014 के बाद से इस तरह घटनाएं तेजी से बढ़ी है 2014 में 147, 2015 में 177, 2016 में 208, 2017 में 240, 2018 में 293, 2019 में 228, 2020 में 279, 2021 में 505, 2022 में 599 और 2023 के पहले 212 दिनों में 525 घटनाएं हुई हैं।
फोरम का आरोप
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के अनुसार हिंसा की ये घटनाएं विशेष आस्था के तथाकथित निगरानी समूहों के नेतृत्व में भीड़ द्वारा की गई है, जिन्हें कथित तौर पर सत्ता में बैठे लोगों का समर्थन प्राप्त है। ऐसे 520 मामले हैं जिन्हें जबरन धर्मांतरण के झूठे आरोप में गिरफ्तार किया गया है।इस विज्ञप्ति में मणिपुर का विवरण शामिल नहीं है।