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झारखंड की उपराजधानी दुमका में झारखंड मुक्ति मोर्चा मनाएगी अपना स्थापना दिवस। अर्धरात्रि में मंच पर दहाड़ेंगे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जे एम एम के वरिष्ठ नेतागण।

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झारखंड की उपराजधानी दुमका में झारखंड मुक्ति मोर्चा मनाएगी अपना स्थापना दिवस।
अर्धरात्रि में मंच पर दहाड़ेंगे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जे एम एम के वरिष्ठ नेतागण।

झारखंड की उप राजधानी दुमका में आज झारखंड के सत्तारूढ़ दल के सबसे बड़े घटक दल जेएमएम अपना स्थापना दिवस मनाएगा।दुमका के गांधी मैदान में मनाए जाने वाले इस मध्यरात्रिकालीन समारोह से आज जेएमएम कई बड़ी घोषणाएं करेगा जिससे झारखंड की राजनीति की नई पटकथा लिखी जा सकती है।

जेएमएम के लिए प्राणदायिनी मानी जाती है दुमका के गांधी में मनाया जाने वाला स्थापना दिवस।

दुमका के गांधी मैदान में मनाए जाने वाले मध्यरात्रिकालीन स्थापना दिवस कार्यक्रम से झारखंड मुक्ति मोर्चा को हमेशा एक बड़ा बल मिलता रहा है। न सिर्फ झारखंड को अलग राज्य बनाने की परिकल्पना को साकार करने में दुमका के गांधी मैदान में मनाए जाने वाले स्थापना दिवस कार्यक्रम की बड़ी भूमिका थी,बल्कि मुख्यमंत्री रहते हुए तमाड़ विधान सभा से जे एम एम सुप्रीमो शिबू सोरेन की हार के बाद एक तरह से उजाड़ हो गए जेएमएम को तब संजीवनी भी दुमका के इसी मध्यरात्रिकालीन स्थापना दिवस कार्यक्रम ने दी थी जिसके बल झारखंड में जे एम एम की स्थिति सुधारने लगी ।इसके फलस्वरूप बाद में हेमंत सोरेन महागतबंधन की तरफ से राज्य में मुख्य मंत्री बने और पिछले तीन साल से मुख्यमंत्री का दायित्व संभाले हुए हैं।

राज्यपाल रमेश बैस द्वारा पुनर्विचार के लिए लौटाई गई बिल को लेकर राज्यपाल को के सकते हैं लपेटे में।

अपने लंबे राजनीतिक भविष्य की परिकल्पना के आधार पर कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में महागठबंधन की सरकार को चुनाव दर चुनाव बरकरार रखने के उद्देश्य से हेमंत सोरेन ने तुरूप के इक्के के रूप में झारखंड के राजनीतिक शतरंज की बिसात पर स्थानीयता के लिए 1932 के खतियान की अनिवार्यता वाला विधेयक विधान सभा में पास कराकर राज्यपाल रमेश बैस के पास भिजवा दिया ताकि वे इसे केंद्र सरकार के पास भेज दें।लेकिन हेमंत सोरेन की इस चाल को राज्यपाल रमेश बैस ने उनकी सरकार द्वारा पारित 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस लौटा कर हेमंत सोरेन की सरकार पर शह और मात का दांव चल दिया है। ऐसे में आज दुमका के इस मध्यरात्रिकालीन स्थापना दिवस से जेएमएम एक बार फिर से अपनी शक्ति संचय में जुटेगा।आज की इस स्थापना दिवस समारोह में राज्यपाल पर तल्ख टिप्पणी कर आदिवासियों और मूलवासियों की सहानुभूति आगामी चुनाव में अपनी पार्टी के प्रति वोट करने के प्रयास से इनकार नहीं किया जा सकता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी और और युवा झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बसंत सोरेन यह कहकर की वे इस कार्यक्रम से लोगों को झारखंड की वर्तमान परिस्थिति और आगे झारखंड की दशा और दिशा निर्धारण की बात कहकर इशारों ही इशारों में बहुत कुछ कह जाते हैं। बाद में स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जे एम एम सुप्रीमो शिबू अपने आक्रोशित भाषण से लोगों की मानसिक स्थिति को इस प्रकार अपने पक्ष में करने में सफल होने का प्रयास करेंगे जिससे 2024 के चुनाव में ज्यादातर लोग इनके पक्ष में ही वोट देने के लिए तैयार हो जाएं और इसके लिए अभी से ही माहौल बनाना प्रारंभ कर दे।

अपने तरकश से निकले तीर की जगह नए तीर का इजाद कर बी जे पी पर प्रहार का प्रयास।

भारतीय जनता पार्टी ने कभी ईडी जांच करा कर, तो कभी चुनाव आयोग के द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायिका रद्द करने जैसा लिफाफा राज्यपाल के पास होने की हवा उड़ा कर , लोगों की भावनाओं को भड़का कर अपने पक्ष में करके चुनावी लाभ दिलाने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के सारे तीरों को उसके तरकश से निकलवा दिया।झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा अपनी तरकश से निकलकर धनुष से संधान किया सबसे खतरनाक तीर था 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता का बिल जो बीजेपी को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचा सकता था,क्योंकि इससे मूलवासी और आदिवासियों के बड़े तबके के जे एम एम के पक्ष में जाने की संभावना थी। बी जे पी को हराने के नाम पर मुसलमानों और ईसाइयों का वोट जे एम एम की स्वतः मिल जाता है।कुल मिलाकर यह स्थिति जे एम एम के नेतृत्ववाली महागतबंधन को आसानी से चुनाव में जिताकर सरकार बनवा सकती थी। लेकिन विधानसभा से पारित हुए इस खतियान आधारित स्थानीयता वाले बिल को फिर से विचार करने के लिए हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री वाली सरकार के पास वापस भेज दिया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उसकी सरकार
के लिए राज्यपाल द्वारा लौटाए गए इस बिल पर पुनर्विचार कर फिर से सदन में पारित कराकर वापस भेजकर राज्यपाल को इसे केंद्र सरकार के पास भेजना के लिए मजबूर करना आसान नहीं होगा ।उल्टे इससे सत्तारूढ़ महागठबंधन के समक्ष झारखंड के सभी गैर खतियानि लोगों के भड़क कर बीजेपी के पक्ष में चले जाने से जेएमएम के नेतृत्ववाली महागतबंधन के चुनाव में हार का बड़ा खतरा उत्पन्न हो जायेगा। ऐसे में हेमंत सोरेन झारखंड के राज्यपाल द्वारा लौटाए गए खतियान आधारित बिल से मटेरियल निकाल कर बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई नए तीर का परदाफाश कर आगामी चुनाव का शंखनाद जरूर करेंगे।

 

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