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क्या चिराग होंगे मोदी मंत्रिमंडल में शामिल और पशुपति पारस होंगे राज्यपाल !

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अखिलेश अखिल
 
बिहार में राजनीति कुलांचे मार रही है। कोई भी दल ऐसा नहीं है जिसके भीतर शांति हो। जदयू के भीतर नीतीश और उनके पुराने साथ उपेंद्र कुशवाहा के बीच रार जारी है। ेंआजम क्यों होगा कोई नहीं जानता। कहा जा रहा है कि उपेंद्र पार्टी छोड़ेंगे और बीजेपी के साथ जायेंगे या फिर कोई और राजनीति करेंगे। इधर राजद के भीतर भी बहुत कुछ चल रहा है। राजद के कई नेता सरकार पर ही हमलावर है और लाख कोशिश के बाद भी पार्टी  आलाकमान की बातो के खिलाफ काम कर रहे हैं। इससे राजद और जदयू के बीच भी खटास है और इसके असर भी हो सकते हैं। उधर बीजेपी के भीतर भी बहुत कुछ ठीक नहीं है। बीजेपी के भी कई नेता जदयू के संपर्क में हैं और माना जा रहा है कि आने वाले समय में बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है।    
    इधर बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव के मद्दे नजर बिहार में एनडीए को मजबूत बनाने में जुटी है। बीजेपी की चाहत है कि चिराग पासवान को मंत्री बनाकर बिहार में एक अलग राजनीति की जाए। ऐसे में जो खबर सामने आ रही है उसके मुताबिक बीजेपी चिराग को केंद्र में मंत्री बनाने को तैयार है तो चिराग के चाचा पशुपति पारस को मंत्री से हटाकर राज्यपाल बनाने को भी तैयार है। लेकिन इस खेल में बीजेपी की तरफ से एक शर्त रखने की बात सामने आ रही है। शर्त ये है कि दो गुटों में बंट चुकी लोक जनशक्ति पार्टी पहले एक हो जाए। अगर पारस ऐसा करते हैं तो तो उन्हें राज्यपाल भी बनाया जा सकता है। और ऐसा नहीं करेंगे तो उन्हें मंत्री से भी हटाया जा सकता है। बीजेपी को पशुपति पारस से ज्यादा चिराग की जरूरत है।    
   बता दें कि बिहार में अभी बीजेपी की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी के एक गुट के नेता पशुपति कुमार पारस केंद्र में मंत्री हैं।  बिहार में जब जदयू और भाजपा एक साथ थे तब जदयू की शह पर पशुपति पारस ने पार्टी तोड़ी थी और पांच सांसदों के साथ अलग गुट बनाया था। आनन फानन में उनके गुट को लोकसभा में मान्यता मिल गई थी और पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बन गए थे। लेकिन अब समीकरण बदल गया है। जदयू और भाजपा का तालमेल टूट गया है और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को भाजपा से जोड़ने का प्रयास चल रहा है। कहा जा रहा है लोक जनशक्ति पार्टी को लेकर जल्दी ही बड़ा फैसला हो सकता है।
        जानकार सूत्रों के मुताबिक लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुट एक हो जाएंगे और चिराग पासवान को केंद्र में मंत्री बनाया जाएगा। पशुपति पारस को केंद्र सरकार से हटा कर पूर्वोत्तर के किसी राज्य में राज्यपाल बनाया जा सकता है। अगर पशुपति पारस दोनों गुटों के विलय के लिए राजी नहीं होते हैं तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। उनके गुट के तीन सांसद पहले ही चिराग पासवान के संपर्क में हैं। चौथे सांसद ऐसे हैं, जो महागठबंधन के साथ भी जा सकते हैं। तभी कहा जा रहा है कि हिचक के साथ लेकिन पशुपति पारस राजभवन जाने को तैयार हैं। चिराग पासवान को लेकर भी भाजपा की पहली योजना उनको पार्टी में शामिल कराने की थी, लेकिन वे अपनी पार्टी बनाए रख कर भाजपा से तालमेल चाहते हैं। जल्दी ही इस बारे में फैसला होगा।
    अब देखना होगा कि बीजेपी बिहार की इस राजनीति कैसे साध पाती है। अगर पशुपति पारस और चिराग में ेका हो जाती है तो दोनों को इसमें लाभ है और नहीं हुआ तो पशुपति पारस के हिस्से कुछ नहीं बचेगा। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी के खेल में इस बार चाचा भतीजा को साधने की पूरी कोशिश की जा रही है। 

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