न्यूज़ डेस्क
राजनीति में वंशवाद की कहानी एक तरह से सनातनी कहानी हो गई है लेकिन राजनीति में इसकी चर्चा भी खूब की जाती है। लेकिन परिवारवाद को आखिर कौन रोक सकता है ? प्रधानमंत्री मोदी तो परिवारवाद पर खूब बोलते हैं। उनका यह प्रिय विषय भी है लेकिन हरियाणा बीजेपी में अभी जो हो रहा है उसके बारे में क्या वे कुछ बोल सकते हैं ? राजनीति का यही खेल समझ से परे है।
हरियाणा में कांग्रेस की ओर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा कमान संभाले हुए हैं, जो एक बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं तो तीसरा और चौथा मोर्चा चौधरी देवीलाल के बेटे, पोते और परपोते संभाल रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री को कायदे से हरियाणा में परिवारवाद को बड़ा मुद्दा बनाना चाहिए।
बीजेपी ने 67 में एक दर्जन ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं, जो किसी न किसी राजनीतिक परिवार के सदस्य हैं। इतना ही नहीं इनमें कई उम्मीदवार तो ऐसे हैं, जिनके माता पिता अब भी सक्रिय हैं और भाजपा ने उनको भी कुछ न कुछ पद दे रखा है। यानी पिता पुत्र या पिता पुत्री या मां बेटी को एक साथ एडजस्ट किया गया है।
यह भी दिलचस्प है कि अपनी पार्टी में राजनीतिक परिवार वाले उम्मीदवार नहीं मिले तो दूसरी पार्टी से लाकर टिकट दी गई है। जैसे कांग्रेस की पुरानी नेता और हरियाणा के तीन लालों में से एक बंशीलाल की बहू किरण चौधरी को भाजपा ने अभी राज्यसभा में भेजा है।
साथ ही उनकी बेटी श्रुति चौधरी को अपनी मां की पारंपरिक तोशाम सीट से उम्मीदवार भी बनाया है। सोचें, पिछली बार भाजपा ने चौधरी बीरेंद्र सिंह के सामने शर्त रखी थी कि उनके और उनके आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह में से किसी एक को ही पद मिलेगा। तभी बृजेंद्र सिंह नौकरी छोड़ कर सांसद बने थे। लेकिन इस बार किऱण चौधरी के सामने ऐसी शर्त नहीं रही।
बहरहाल, भाजपा ने केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव को अटेली सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। हरियाणा के बहुचर्चित तीन लालों में से एक भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई को पार्टी ने फिर से आदमपुर सीट से टिकट दी है। तीन दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुईं पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी शक्ति रानी शर्मा को भाजपा ने कालका सीट से उम्मीदवार बनाया है। उनके बेटे कार्तिकेय शर्मा भाजपा की मदद से हरियाणा से राज्यसभा सदस्य चुने गए हैं।
इसी तरह कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान को भाजपा ने दादरी सीट से टिकट दी है। इनके बारे में दिलचस्प बात यह है कि ये रोहतक की सुनरिया जेल के अधीक्षक थे, जहां बलात्कार और हत्या का दोषी राम रहीम बंद था। इनके जेल प्रमुख रहते राम रहीम को छह बार पैरोल या फरलो मिली थी। राव नरबीर सिंह बादशाहपुर से टिकट लेने में कामयाब हुए हैं।
उनके पिता महावीर सिंह यादव राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं और उनके दादा मोहर सिंह यादव देश विभाजन से पहले पंजाब में विधान परिषद के सदस्य थे। यानी वे भी तीसरी पीढ़ी के नेता हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इन सब लोगों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी परिवारवाद के ऊपर कितना तीखा हमला करते हैं।