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नेपाल के जनकपुर के जानकी मंदिर की है अनोखी कहानी, इसी स्थान पर भगवान राम और सीता का हुआ था विवाह

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विकास कुमार
नेपाल के जनकपुर में जानकी मंदिर अपने पौराणिक मान्यताओं के कारण प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि जनकपुर में ही भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस स्थान पर ही बाद में जानकी मंदिर बना दिया गया। जनकपुर आज हिंदुओं के लिए अहम तीर्थस्थल बन चुका है।


जानकी मंदिर नेपाल के काठमांडू शहर से लगभग चार सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जनकपुर धाम के रूप में विख्यात माता सीता का ये मंदिर चार हजार आठ सौ 60 वर्गमीटर में फैला हुआ है। इस मंदिर के निर्माण में करीब 16 साल का समय लगा था। जानकी मंदिर का निर्माण 1895 ईस्वी में शुरू हुआ और 1911 में पूरा हुआ था। उस वक्त जानकी मंदिर के निर्माण में करीब नौ लाख रुपए लगे थे। इसलिए मंदिर को नौलखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक 1657 ईस्वी में यहां पर माता सीता की सोने की मूर्ति मिली थी। माता सीता के इस मंदिर का निर्माण राजपुताना महारानी वृषभानु कुमारी ने करवाया था।

जानकी मंदिर के आसपास एक सौ 15 सरोवर और कुंड हैं। गंगा सागर, परशुराम सागर और धनुष सागर सबसे ज्यादा मशहूर कुंड हैं। रामायण काल में बैसाख माह की नवमी तिथि को मिथिला के राजा जनक के यहां माता सीता का जन्म हुआ था। उनकी राजधानी का नाम जनकपुर है। इसलिए जनकपुर में ही जानकी मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर की कलाकृति बेहद अद्भुत है। आज भी इस मंदिर में ऐसे प्रमाण मौजूद हैं जो रामायण काल का उल्लेख करते हैं।


जानकी मंदिर के परिसर में ही विवाह मंडप बना हुआ है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यही वह मंडप है। जहां पर माता सीता और भगवान राम का विवाह हुआ था। इस विवाह मंडप के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इस मंडप को लेकर मान्यता है कि यहां पर आने से सुहाग की उम्र लंबी होती है। आसपास के लोग विवाह के अवसर पर यहां से सिंदूर लेकर जाते हैं।

माता जानकी मंदिर में 1967 से अखंड कीर्तन चल रहा है। इस अखंड कीर्तन में भगवान राम और माता सीता का जाप चल रहा है। जानकी मंदिर की इसी खासियत की वजह से अयोध्या में बनने वाले रामलला की मूर्ति के लिए शिलाएं नेपाल से लाई गई। एक सौ 27 क्विंटल की शिलाएं नेपाल से अयोध्या लाई गई। हिंदू शालीग्राम भगवान की पूजा करते हैं। ये पत्थर उत्तर नेपाल की गंडकी नदी में पाया जाता है। हिमालय से आने वाला पानी इन चट्टानों से टकराकर पत्थर को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है। इन्हीं की मूर्ति बनाकर उन्हें पूजा जाता है।

जानकी मंदिर में राम नवमी और दशहरे पर भारी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है। इसलिए आप भी एक बार जरुर जानकी मंदिर का दर्शन जरुर करें। इससे आपकी जिंदगी में कई अच्छे बदलाव आएंगे।

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