22 सितंबर से भारतीय सरकार द्वारा नए जीएसटी रिफॉर्म्स (जीएसटी 2.0) लागू किए गए हैं। इन नए सिस्टम के तहत अब सिर्फ दो जीएसटी स्लैब्स हैं।एक है 5% और दूसरा 18%। अब 12% और 18% स्लैब को खत्म कर दिया गया है। इस रिफॉर्म का उद्देश्य टैक्स को आसान बनाना और घरेलू सामान पर मासिक बचत प्रदान करना है।हालांकि इसके बाद एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि क्या कंपनियां इस लाभ को उपभोक्ताओं तक पहुंचाएगी? या फिर वे कीमतों को बढ़ाकर जीएसटी में कटौती को खत्म कर सकते हैं।
दरअसल कंपनियां लाभ मार्जिन को बनाए रखने के लिए कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती है।ऐसा होने से जीएसटी में कटौती का अपेक्षित लाभ खत्म ही हो जाएगा। कंपनियों को अपनी कीमतें तय करने की आजादी है। इतना ही नहीं बल्कि छोटी वस्तुओं के लिए कभी-कभी कंपनियां कीमत के बजाए मात्रा को बदल देती हैं।इससे उपभोक्ता को कम लाभ मिलता है।
इन सभी परेशानियों को रोकने के लिए सरकार ने सख्त निगरानी और प्रवर्तन तंत्र लागू किया है।दरअसल उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत, केंद्रीय उपभोक्ता प्राधिकरण अपनी पहल पर या फिर किसी भी कंज्यूमर की शिकायत के आधार पर मूल्य उल्लंघन की जांच कर सकता है। इसी के साथ सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम ने भी 54 आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की 6 महीने तक निगरानी के आदेश दिए हैं।
इतना ही नहीं बल्कि पुराने स्टॉक के लिए कंपनियों को 31 दिसंबर 2025 तक ओरिजिनल एमआरपी के साथ संशोधित कीमतों वाले स्टीकर का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है।इसी के साथ जीएसटी नेटवर्क और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का इस्तेमाल करके यह पक्का करने के लिए फील्ड वेरिफिकेशन किया जाएगा कि जीएसटी टैक्स में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है या नहीं।
सरकार के प्रयासों से इतर अगर आपको पता चलता है कि कोई कंपनी जीएसटी में हुई कटौती का लाभ नहीं दे रही है तो आप भी उसकी शिकायत कर सकते हैं।शिकायत करने के लिए आप 17 भाषाओं में उपलब्ध टोल फ्री नंबर 1915 या फिर 1800114000 पर नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन से सीधा संपर्क कर सकते हैं।इसके अलावा आप नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन की वेबसाइट या फिर उमंग एप के माध्यम से भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
टैक्स से संबंधित मामलों की शिकायत के लिए जीएसटी पोर्टल का इस्तेमाल किया जा सकता है। टैक्स पेयर अपना GSTIN, मोबाइल नंबर और समस्या का विवरण देकर समाधान पा सकता है।