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आखिर सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ ने रक्षा मंत्रालय को क्यों कहा कि सबकुछ ठीक करिये वरना हम अवमानना नोटिस भेजेंगे

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न्यूज़ डेस्क
वन रैंक वन पेंशन के एक मामले को लेकर आज सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने रक्षा मंत्रालय को काफी खड़ी खोटी सुनाई और कहा कि जब रिटायर्ड जवानो को एरियर भुगतान की सीमा को शीर्ष अदालत पहले से ही समय सीमा तय किये हुए है तब फिर समय सीमा बढ़ाने की जरूरत क्यों हो गई ? सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पारदीवाला की बेंच ने इस मसले पर अब रक्षा मंत्रालय के सचिव से परसनल एफिडेविट माँगा है उससे स्पष्टीकरण देने को भी कहा है कि आखिर शीर्ष अदालत के दिशा निर्देश के टाइम लाइन के बावजूत भी समय सीमा क्यों बढ़ाई गई है। अदालत ने साफ़ तौर पर कहा कि यह कोई जंग का मैदान नहीं है। सब कुछ दुरुस्त करिए, वरना हम रक्षा मंत्रालय को अवमानना का नोटिस भेजेंगे’।

मामला क्या है ?

शीर्ष दलित ने अपने पिछले आदेश में रक्षा मंत्रालय को वन पेंशन वन रैंक के तहत मार्च के दूसरे सप्ताह तक एरियर भुगतान करने का आदेश दिया था। इसी बीच जनवरी में रक्षा मंत्रालय ने एक पत्र जारी कर कहा कि रिटायर्ड जवानो को चार बार में एरियर भुगतान किया जाएगा। इसके बाद जवानो ने फिर से शिकायत अदालत को थी। आज इस मामले को लेकर जब जवानो के वकील हुजैफा अहमदी ने जब अदालत के सामने दलील दी तो शीर्ष अदालत भौंचक हो गया। जवानो के वकील ने कहा कि जब शीर्ष अदालत की तरफ से पहले ही डेडलाइन तय कर दी गई थी तो सरकार इसे कैसे बदल सकती है?उन्होंने सवाल किया कि जब अदालत ने एक आदेश पारित कर दिया तो क्या डिपार्टमेंट के पास कोई अधिकार है ?अब तो चार लाख जवानो की मौत हो गई है। क्या वे अपना पेंशन क्लेम कर सकते हैं ?

नाखुश अदालत ने क्या कहा

मामले की सुनवाई कर रहे सीजेआई की पीठ इस दलील से काफी नाखुश हुई। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई ने कहा कि यह कोई जंग का मैदान नहीं है। सब कुछ ठीक करिये ,वरना हम रक्षा मंत्रालय को अवमानना का नोटिस भेजेंगे। फिर अदालत ने मंत्रालय के सचिव से व्यक्तिगत आफिडेविट फाइल करने का आदेश दिया और पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट दिया था तो अचानक ऐसा आदेश जारी करने की जरूरत क्यों हुई ?सुप्रीम कोर्ट यही नहीं रुका ,रक्षा मंत्रालय को चेताते हुए कहा कि कोर्ट द्वारा निर्धारित 15 मार्च की समय सीमा के अंदर जवानो के भुगतान नहीं किये गए 9 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान भी करना होगा। रक्षामंत्रालय को जल्द इस पर अमल करने की जरूरत है।

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