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शोधकर्ता हूगरबीट्स की भविष्यवाणी : भारत ,पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी आ सकते हैं बड़े भूकंप 

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न्यूज़ डेस्क
ऐसा पहली बार हुआ है कि भूकंप की भविष्यवाणी किसी ने की और ठीक तीन दिन बाद तुर्की और सीरिया दलह उठा। भूकंप का ऐसा तांडव सामने आया जिसकी कल्पना भी नहीं की थी। लेकिन सच यही है कि इस भूकंप की भविष्यवाणी नीदरलैंड के शोधकर्ता फ्रैंक हूगरबीट्स ने की थी। तीन फरवरी को यह भविष्यवाणी फ्रैंक ने की थी और 6 फरवरी को तुर्की और सीरिया में भूकंप आ गया। अब इसी शोधकर्ता ने कहा है कि निकट भविष्य में भारत , पकिस्तान और अफगानिस्तान में भूकंप के तेज झटके आ सकते हैं। इस भविष्यवाणी के बाद भारत के लोग भी डरे हुए हैं। फ्रैंक ने कहा है कि वह ग्रहों की चाल के मुताबिक भूकंप की भविष्यवाणी कर रहे हैं।

बता दें कि फ्रैंक हूगरबीट्स सोलर सिस्टम ज्योमेट्री सर्वे के लिए काम करते हैं, जो एक शोध संस्थान है। यह संस्था भूकंप की गतिविधि का अनुमान लगाने के लिए आकाशीय पिंडों की निगरानी करता है। हालांकि, फ्रैंक के दावों पर कई वैज्ञानिक सवाल भी उठा रहे हैं। उनसे इस बात को लेकर ही सवाल पूछा गया कि सोशल मीडिया पर उनकी भविष्यवाणी पर प्रश्नचिन्ह क्यों लगाए जा रहे हैं? इसके जवाब में फ्रैंक ने कहा कि भूकंप के तीन दिन पहले मैंने उसके पूर्वानुमान को लेकर एक ट्वीट किया था। मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उस क्षेत्र पर मैंन विस्तार से रिसर्च किया था। रिसर्च से मुझे अनुमान लग गया था कि वहां कुछ भूकंप संबंधी गतिविधियां होने वाली हैं।

उन्होंने कहा कि इसलिए मैंने सोचा कि कोई घटना घटित होने से पहले लोगों के लिए चेतावनी जारी की जानी चाहिए। लेकिन मुझे नहीं पता था कि 3 दिन बाद ही इतना बड़ा भूकंप आ जाएगा। फ्रैंक कहते हैं कि आज भी हमारे यहां भूकंप को लेकर की जाने वाली भविष्यवाणी को सैद्धांतिक तौर पर सही नहीं माना जाता।

वहीं अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करने वालों का कहना है कि किसी भी वैज्ञानिक ने कभी भी बड़े भूकंप की भविष्यवाणी नहीं की। फ्रैंक का कहना है कि, जिस विधि का हम उपयोग करते हैं उसे लेकर कई तरह के विवाद हैं। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था ने इतिहास में आए भीषण भूकंपों के बारे में भी विस्तार से रिसर्च की है। जो विशेष रूप से ग्रहों की स्थिति देखकर अनुमान लगाती है। बता दें कि इतिहास में आए बड़े भूकंपों का अध्ययन इसलिए किया जाता है कि हम एक पैटर्न ढूंढकर भविष्य में आने वाले बड़े भूकंपों का अनुमान लगा सकें।

उन्होंने कहा कि, मुख्यधारा के वैज्ञानिकों ने आम तौर पर ग्रहों को देखने से इनकार कर दिया है। क्योंकि आम सहमति है कि ग्रहों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए ग्रहों को देखने की जरूरत नहीं है, लेकिन हमारी रिसर्च से पता चलता है कि ग्रहों का असल में काफी प्रभाव पड़ता है। फ्रैंक ने आगे कहा कि वे 7.5 तीव्रता के भूकंप का अनुमान इसलिए लगा पाए थे क्योंकि उन्होंने ऐतिहासिक भूकंपों की गतिविधि पर रिसर्च किया था।

अब इसी डच शोधकर्ता फ्रैंक ने अब अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के साथ हिंद महासागर क्षेत्र तक बड़े भूकंप की भी भविष्यवाणी की है। हालांकि, उन्होंने ये भी स्पष्ट किया है कि भविष्यवाणी को लेकर अभी थोड़ा भ्रम है, क्योंकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अफगानिस्तान से भूकंप शुरू होकर हिंद महासागर तक जाएगा। हालांकि, हो सकता है कि यह भूकंप 2001 की तरह भारत पर अपना असर डाले। लेकिन कोई निश्चित नहीं है।

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