महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को हुए मतदान का चुनाव परिणाम 23 नवंबर को आ गया।इस चुनाव परिणाम में महायुति गठबंधन को अपार बहुमत मिला और उसने 288 सीटों वाले इस विधानसभा के चुनाव में 230 सीटों पर कब्जा जमा लिया तो वहीं दूसरी तरफ इस चुनाव में उतना ही निराशाजनक प्रदर्शन महा विकास आघाड़ी का रहा और इसके तीनों घटक मिलकर 50 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया।लेकिन इस चुनाव परिणाम के आने बाद न तो महायुति गठबंधन और न ही महा विकास अघाड़ी गठबंधन चैन से है।
बात पहले महायुति गठबंधन की कर लिया जाय। 23 नवंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद मिली अपार सफलता के बावजूद महायुति गठबंधन में इस बात को लेकर तनातनी प्रारंभ हो गई कि अगला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बने रहेंगे, देवेंद्र फडणवीस बनेंगे या अजीत पवार होंगे?अजीत पवार ने तो खैर थोड़े ही समय बाद देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की बात कह कर अपना दावा छोड़ दिया, लेकिन एकनाथ शिंदे फिर भी अड़े रहे ।चर्चा तो यहां तक की जाने लगी कि मुख्यमंत्री न बनाने की स्थिति में एकनाथ शिंदे और इनके नेतृत्व वाली शिवसेना महायुति गठबंधन से बाहर भी आ सकते हैं।लेकिन इसके बाद आखिरकार एकनाथ शिंदे भी नरम पड़े और उन्होंने कह दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह महायुति का मुख्यमंत्री जिस किसी को चुनेंगे,एकनाथ शिंदे और उसकी शिवसेना इसे तामिल करेगी।इसके बाद महायुति में उत्साह का एक वातावरण देखा गया और 28 नवंबर को अमित शाह के दिल्ली आवास पर रात में लगभग 3 घंटे तक अमित शाह ,देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के साथ मुख्यमंत्री पद और मंत्रिमंडल के चेहरे को लेकर गंभीर बातचीत हुई। किसी भी नेता ने अंदर की बात बाहर नहीं किया,अलबत्ता बातचीत के सार्थक होने के होने का दवा सभी नेताओं के द्वारा किया गया और महाराष्ट्र में 29 नवंबर को मुंबई में होने वाली बैठक में इस पर विचार कर इसे सार्वजनिक करने की बात कही गई।
29 नवंबर को मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के चेहरे को लेकर मुंबई में महायुति की एक बड़ी बैठक आहूत थी ,लेकिन एकाएक एकनाथ शिंदे के अपने गृह नगर सतारा चले जाने के कारण यह बैठक नहीं हो पाई और एक बार फिर से चर्चा का बाजार गर्म हो गया। शिवसेना के तरफ से यह कहा गया की एकनाथ शिंदे ना तो केंद्र में जाएंगे और ना ही उपमुख्यमंत्री बनेंगे।हालांकि बाद में फिर शिवसेना के नेता के द्वारा एकनाथ शिंदे की तबीयत खराब होने के कारण सातारा जाने की बात कही जाने लगी और फिर जल्दी ही महायुति के बैठक आहूत होने की भी बात करने लगे।
दूसरी तरफ महा विकास आघाड़ी में भी शिवसेना (यूबीटी) के इस गठबंधन से बाहर निकालने की बात कही जाने लगी है, सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस समय शिवसेना ( यूबीटी ) के जीते हुए 20 विधायकों के द्वारा उद्धव ठाकरे पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले महा आघाड़ी गठबंधन से किनारा कर खुद के बल पर आगे की राजनीतिक कद बढ़ाने की बात कही जा रही है।उद्धव ठाकरे द्वारा अपने विधायकों की बात नहीं माने जाने की स्थिति में इस बात की भी एक संभावना सामने आ रही है कि इससे एक बार फिर शिवसेना यूबीटी में दो फाड़ हो जाएगा। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि शिवसेना यूबीटी के विधायकों को लगता है कि कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार )के साथ आने के कारण उसके हिंदू मुद्दों पर वह रुख नहीं अपनाया जा रहा है, जो बालासाहेब ठाकरे के समय में अपनाया जाता था और इसका फायदा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को मिल गई और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की अधोगति हो गई।
दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव परिणाम आने के एक सप्ताह बीतने के बावजूद महायुति गठबंधन अपना मुख्यमंत्री तय नहीं कर पा रहा है और दूसरी तरफ महा विकास अघाड़ी का घटक दल गठबंधन से अलग होने को उतारू है, तो यह सब अकारण नहीं हो रहा है।दरअसल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय का भी चुनाव होना है। ऐसे में हर राजनीतिक दल चाहे वह महा विकास आघाड़ी का घटक दल हो चाहे महायुति गठबंधन का सदस्य घटक दल हो, हर किसी को अपनी अपने-अपने दल की चिंता है और वह भविष्य के स्थानीय निकाय चुनाव को आगे रखकर ही अपना दांव चल रहे हैं।