महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का रिजल्ट 23 नवंबर को आया था। चार दिन यानी 96 घंटे बीत जाने के बाद भी मुख्यमंत्री पद को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई थी।लेकिन शिंदे के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्र बनाने का रास्ता साफ हो गया। शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट रूप से कह दिया कि बीजेपी का जो फैसला होगा, उन्हें मंजूर होगा। अब सवाल उठता है कि जिस एकनाथ शिंदे के तेवर आज से पहले काफी हाई थे, रिजल्ट आने के चौथे दिन ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने अपना हथियार रख दिया।
रिजल्ट आने के बाद से अबतक की स्थिति पर नजर डालें तो सबसे पहले चुनाव परिणाम पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में देवेंद्र फडणवीस ने कह दिया था कि महायुति में मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई बात नहीं हुई थी। वहीं शिंदे के बयान से साफ हो गया था कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से नीचे कोई भी बात स्वीकार्य नहीं होगी।
शिव सेना ने साफ कर दिया था कि एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम का पद स्वीकार नहीं करेंगे। शिंदे गुट के नेता संजय सिरसाट ने कहा था कि विधानसभा चुनाव शिंदे के नेतृत्व में लड़ा गया था।उनकी वजह से ही महाराष्ट्र में महायुति की इतनी बड़ी जीत हुई है।
एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग के बीच बिहार मॉडल की एंट्री हुई। शिवसेना नेताओं ने सुझाव दिया कि महाराष्ट्र में भी एनडीए को बिहार की ही तरह शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। लेकिन इस मॉडल को बीजेपी ने नकार दिया।कभी शिवसेना की तरफ से नारा दिया गया कि एक ‘ नाथ’ हैं तो सेफ हैं ।
एकनाथ शिंदे मंगलवार तक मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़े हुए थे।शाम को उनकी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से हुई। पीएम और शाह से बातचीत के बाद रातभर में शिंदे के तेवर डाउन हो गए। बुधवार को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह साफ कर दिया कि सरकार बनाने में उनकी तरफ से कोई बाधा नहीं है। शिंदे ने कहा कि बीजेपी का फैसला अंतिम होगा। पीएम मोदी और शाह का जो भी निर्णय होगा, हम उसका स्वागत करेंगे।