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जस्टिस संजीव खन्ना आज भारत के 51वें चीफ जस्टिस पद की शपथ लेंगे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ कल रिटायर्ड हुए थे। उन्होंने ही सरकार से जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। 64 साल के जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं। इस दौरान वे करीब 275 बेंचों का हिस्सा रहे हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना का न्यायिक करियर चार दशकों से अधिक का है। 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में शामिल होने के बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में जाने से पहले दिल्ली की तीस हजारी जिला अदालतों में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने आयकर विभाग के लिए वरिष्ठ स्थायी वकील और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील के रूप में कार्य किया।
2005 में दिल्ली हाईकोर्ट में पदोन्नत होकर वे 2006 में स्थायी न्यायाधीश बन गए। इसके बाद वो किसी भी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा किए बिना जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जज बने थे।
सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस खन्ना ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। इसमें चुनाव में ईवीएम की उपयोगिता बनाए रखना, चुनावी बांड योजना को खारिज करना, अनुच्छेद-370 के निरस्तीकरण के फैसले को कायम रखना और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देना शामिल है।
जस्टिस खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस देव राज खन्ना के बेटे हैं। वो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एचआर खन्ना के भतीजे हैं। हाईकोर्ट में जज बनने से पहले वो अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के वकील थे। 14 मई, 1960 को जन्मे जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस ला सेंटर से कानून की पढ़ाई की है।