मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक से जुड़ी एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। बैठक में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा हुई।गौरतलब है कि उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद 100 दिन के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गयी।समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक क्रियान्वयन समूह गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में भारत के निर्वाचन आयोग की ओर से राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों से विचार-विमर्श कर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की भी सिफारिश की है। फिलहाल लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की होती है, जबकि नगर निगमों और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराते हैं। समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं की ओर से अनुसमर्थन की जरूरत होगी।हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी, जिन्हें संसद की ओर से पारित करना होगा।
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’के मसौदे को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल जाने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जन खड़गे ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है।उन्होंने बीजेपी और केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आने पर ध्यान भटकाने के लिए वे ऐसे मुद्दे उठाते हैं।
गौरतलब है कि वन नेशन-वन इलेक्शन पर विचार करने के लिए 2 सितंबर 2023 को रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन हुआ था। इस समिति ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।रिपोर्ट में समिति ने 191 दिनों तक विभिन्न विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श किया, जिसके बाद 18,626 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इसमें सुझाव दिया गया है कि सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक किया जाए, ताकि उनके चुनाव अगले लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकें।