सीमावर्ती क्षेत्र में चीन हमेशा भारत के विरुद्ध कुछ न कुछ उकसावे की कार्रवाई करते रहता है।लेकिन अब भारत भी उसकी हर हरकत का मुंहतोड़ जबाव देने से नहीं चूकता है।हाल में चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश के 30 स्थानों के नाम बदलने के मामले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर भारत ने भी इसी तरह के प्रयास किए तो क्या इसका मतलब यह होगा कि चीन के वे क्षेत्र हमारे क्षेत्र का हिस्सा बन गए हैं।
चीन की हरकत रिश्ते खराब करने वाले
अरुणाचल प्रदेश के नामसाई इलाके में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं चीन से पूछना चाहता हूं कि अगर हम पड़ोसी देश के विभिन्न राज्यों के नाम बदल देंगे, तो क्या वे हमारे क्षेत्र के हिस्से हो जाएंगे? ऐसी गतिविधियों के कारण संबंध खराब हो रहे हैं। इससे भारत और चीन के बीच रिश्ते बिगड़ेंगे।
चीन के कदम से हकीकत नहीं बदल जाएगी
राजनाथ सिंह ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में 30 स्थानों के नाम बदलने के चीन के कदम से जमीनी हकीकत नहीं बदल जाएगी।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि हम अपने सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन अगर कोई हमारे आत्म-सम्मान को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो भारत इसका उचित जवाब देने की क्षमता भी रखता है।उन्होंने एक बार फिर से इस बात को दोहराते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है।
विदेश मंत्रालय ने भी चीन के दावों को किया था खारिज
इससे पहले 2 अप्रैल 2024 को विदेश मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को खारिज कर दिया था और कहा था कि अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने तब बयान जारी करते हुए कहा था कि चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के अपने मूर्खतापूर्ण प्रयासों पर कायम है।हम इस तरह के प्रयासों को दृंढ़ता से अस्वीकार करते हैं उन्होंने आगे कहा था कि चीन की ओर से इस तरह मनगढ़ंत नाम जारी करने से यह वास्तविकता नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है और हमेशा ही रहेगा।
पिछले हफ्ते चीन ने जारी किए थे 30 बदले हुए नाम
पिछले हफ्ते चीन ने अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास विभिन्न स्थानों के 30 नए नामों की एक सूची जारी की थी। ये सभी नाम चाइनीज में थे। पहले भी चीन पूर्वोत्तर राज्य पर अपना दावा जताने के लिए इसी तरह की कोशिशें कर चुका है।