रांची (बीरेंद्र कुमार): गिरिडीह जिला के पारसनाथ पहाड़ी स्थित जैन समाज के पवित्र तीर्थ सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र बनाने की झारखंड सरकार के फैसले का विरोध कर रहे जैन मुनि सुज्ञेय सागर महाराज ने मंगलवार की सुबह 6:00 बजे अपने प्राण त्याग दिए। वह सम्मेद शिखर से जुड़े हुए थे। 72 वर्षीय सुज्ञेय सागर झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ 25 दिसंबर से आमरण अनशन पर थे। मंगलवार सुबह उनकी डोल यात्रा सांगानेर संघी जी मंदिर से निकाली गई उन्हें जयपुर के सांगानेर में समाधि दी गई।
रांची में जैन समाज के निकाल लोगों ने निकाला मौन जुलूस
गिरिडीह जिला स्थित श्री सम्मेद शिखरजी पारसनाथ पर्वत राज को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विरोध में रांची में विशाल मौन पदयात्रा निकाली गई। इस मौन पदयात्रा में बड़ी संख्या में जैन समाज,मारवाड़ी समाज और अन्य संगठनों के पुरुष और महिलाएं शामिल थे। इस मौन पदयात्रा में शामिल सभी लोग अपने हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां और झंडे लिए हुए थे। अपर बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर से निकाली गई यह मौन पदयात्रा मेन रोड, शहीद चौक और कचहरी चौक होते हुए राजभवन पहुंची, जहां राज्यपाल रमेश बैस के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि विश्व प्रसिद्ध श्री सम्मेद शिखरजी पारसनाथ पर्वतराज और मधुबन जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा पवित्र तीर्थ स्थल है। जैन समाज के 24 तीर्थंकरों में से 22 तीर्थंकरों ने इस पर्वत पर तपस्या की और मोक्ष प्राप्त किया।
श्री सम्मेद शिखरजी मामले पर अल्पसंख्यक आयोग में सुनवाई 17 जनवरी को
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ‘श्री सम्मेद शिखरजी’को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के खिलाफ आए प्रतिवेदनों पर 17 जनवरी को सुनवाई करेगा। आयोग ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव और झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को इस मामले में तलब किया है। आयोग के समक्ष कई प्रतिवेदन आए हैं। आयोग ने इन प्रतिवेदनों का हवाला देते हुए कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के इस निर्णय से पूरे देश के जैन समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हुए हैं। आयोग पहले ही राज्य सरकार से जैन समुदायों की मांग पर विचार करने का आग्रह कर चुका है। आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने दिल्ली के कड़कड़डूमा स्थित जैन मंदिर के दौरा भी किया जहां कुछ लोग श्री सम्मेद शिखरजी से जुड़े मामले को लेकर अनशन कर रहे हैं।