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आदर्श पलटी :  अशोक चव्हाण के बाद कमलनाथ की बारी? अशोक ने थामा ‘कमल’, अब कांग्रेस छोड़ेंगे ‘कमल’!

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सत्ता के गलियारों में यही खबर चल रही है कि महाराष्ट्र के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के बाद अब मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अपने पुत्र नकुलनाथ के साथ कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भाजपा का ‘कमल’ थाम सकते हैं। 

मुंबई\भोपाल (सुदर्शन चक्रधर)

भोपाल से लेकर दिल्ली के राजनीतिक  गलियारों तक इस पर काफी अटकलें लगाई जा रही हैं, जबकि कमलनाथ हैं कि इस मामले में कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए उन्होंने चुप्पी साथ रखी है।

भाजपा आलाकमान ने कुछ वर्ष पहले ही ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ का नारा दिया था। वह फेल या फ्लॉप होते दिखा, तो उन्हीं धुरंधरों ने भाजपा को  ही ‘कांग्रेस-युक्त’ बनाना शुरू कर दिया। हिमंत बिस्व सरमा के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद होते हुए हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को ‘भगवा दुपट्टा’ पहनाया गया है। जबकि कल तक वे ‘आदर्श घोटालेबाज’ थे। सीबीआई और ईडी उनके पीछे लगाई गई थी। मगर अब वे अन्य घोटालेबाजों की तरह ही ‘कमल ब्रांड वॉशिंग मशीन’ में धुल गए हैं।

यह भी कम बड़ा कमाल नहीं है कि पहले दिन चव्हाण ने कांग्रेस छोड़ी, दूसरे दिन उन्होंने भाजपा में प्रवेश किया और तीसरे ही दिन उन्हें राज्यसभा का टिकट दे दिया गया! फिर चौथे दिन उन्होंने राज्यसभा चुनाव का पर्चा भी भर दिया। क्या दोनों तरफ से यह सत्ता के लिए ‘आदर्श पलटी’ नहीं है? तो क्या इसी तरह की पलटी अब मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ मारने वाले हैं’? फिर भाजपा को कांग्रेस-युक्त’ बनाने की तैयारी में क्या अशोक चव्हाण के बाद अब कमलनाथ की बारी है?

कुछ वर्ष पहले तक भारतीय जनता पार्टी, मध्यमार्गी नेताओं और सेक्युलर दलों के लिए ‘अछूत’ मानी जाती थी, उसे घोर साम्प्रदायिक कहा जाता था। धीरे-धीरे ये धारणा बदली और केंद्र में नरेंद्र मोदी के सत्तासीन होते ही इसके विशाल दरवाजे से लगभग हर दल के नेता इसकी सत्ता की कोठरी में समाने लगे। इसी भाजपा ने मोदी-राज के प्रारंभिक वर्षों में ‘काँग्रेस-मुक्त भारत’ का नारा दिया था, मगर यह सपना पूरा होने से पहले ही चकनाचूर हो गया, तो भाजपाई धुरंधरों अपनी पार्टी को ही ‘कांग्रेस-युक्त’ बनाना शुरू कर दिया। तभी तो असम के हिमंता बिस्व सरमा, एमपी के ज्योतिरादित्य सिंधिया, पंजाब के  कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ तथा उत्तरप्रदेश के जितिन प्रसाद को ‘कमल-पट्टा’ बांधा गया और हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक चव्हाण को ‘भगवा दुपट्टा’ पहनाया गया।

यह सच है कि भाजपा और मोदी का बढ़ता प्रभाव और अघोषित दबाव कांग्रेस को लगातार कमजोर कर रहा है. स्थिति यह है कि जो नेता हाल तक कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे थे, अब या तो वे भी भालपा में जाने लगे हैं, अथवा उनके भी भाजपा में जाने की चर्चा होने लगी है। अशोक चव्हाण का विकेट लेने के बाद भाजपा की नजरें जब मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर आ टिकी हैं। क्योंकि भाजपा को अब मध्यप्रदेश में क्लीन स्वीप करने के लिए छिंदवाड़ा सीट किसी भी कीमत पर जीतनी है।

ये वही कमलनाथ है, जो कुछ दिनों पहले तक भालपा को पानी पी-पी कर कोस रहे थे और नवंबर में हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंती के रूप में पेश किए जा रहे थे। मगर अब कहा जा रहा है या तो वे अपने बेटे के साथ भाजपा में चले जाएंगे। या फिर अपने बेटे नकुल नाथ को ही भाजपा में भिजवा देंगे….!

मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या वाकई एमपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ, कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका देंगे? क्या वाकई वे भाजपा का दामन थाम लेंगे? इन सवालों ने राजनीतिक हलकों में चर्चा इसलिए भी छेड़ दी है, क्योंकि लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हाल ही में एक बयान में कमलनाथ और उनके पुत्र नकुलनाथ के लिए कहा था कि ‘जय श्रीराम बोलिये और भाजपा में चले आइए…’

इसके बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा के एक कार्यक्रम में उपास्थित कमलनाथ से पत्रकारों ने यही सवाल पूछा, तो वे हंस कर टाल गए और पत्रकारों से कहने लगे कि कोई दूसरी बात करो, यानि उन्होंने पत्रकारों के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया तो क्या उनके जवाब नहीं देने में ही उनकी ‘हां’ छिपी थी?

गौरतलब है कि हाल के दिनों में कांग्रेस को ‘राम-राम’ करने वाले नेताओं में खासी वृद्धि हुई है।  महाराष्ट्र के अशोक चव्हाण, मिलिंद देवड़ा और बाबा सिदीकी ने हाल ही में कांगेस छोड़कर अन्य दलों में प्रवेश किया है। जबकि यूपी के संभल से वरिष्ठ कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राम मंदिर मुद्दे पर कांग्रेस की खुली आलोचना कर मोदी की जमकर तारीफ की थी, तो उन्हें काँग्रेसवपार्टी ने निलंबित ही कर दिया। अब चूंकि कमलनाथ को अपने पुत्र नकुलनाथ का भविष्य बनाना-संवारना है, इसीलिए हो सकता है कि वे भाजपा में जाकर छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से अपने पुत्र नकुल को भाजपा का टिकट दिलवाने में कामयाब हो जाएं….!  यह भाजपा के लिए भी बेहद मुफीद स्थिति होगी, क्योंकि तब भाजपा मध्यप्रदेश की सभी 29 सीटें जीत लेगी. अभी भाजपा के पास यहां से 28 साँसद हैं और कमलनाथ के कारण ही छिंदवाड़ा सीट हारती रही है तो इस बार कमलनाथ को घेरने की तैयारी पूरी हो चुकी है। अब देखना है कि कमलनाथ ‘हाथ’ का साथ छोड़कर, कमल को हाथ में लेने का ऐलान किस दिन करते हैं !

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