Homeदेशचुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया बैन ,कहा यह सब असंवैधानिक 

चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया बैन ,कहा यह सब असंवैधानिक 

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न्यूज़ डेस्क
 सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड पर तत्काल बैन  लगा दिया है। शीर्ष अदालत ने साफ़ तौर पर कहा है कि यह एक असंवैधानिक प्रक्रिया है और  इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बीजेपी को बडा धक्का लगा है और मोदी सरकार पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। 

लोकसभा चुनाव 2024  से पहले उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड को लेकर सर्वसम्मति से एक बड़ा फैसला सुनाया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच द्वारा दिए गए इस फैसले में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल रहे।

उच्चतम न्यायालय ने साफ कहा है कि बड़ा चंदा गोपनीय रखना असंवैधानिक है। कंपनी एक्ट में बदलाव भी असंवैधानिक है। हर चंदा हित साधने के लिए नहीं है। फंडिंग की जानकारी हर आमजन को होनी चाहिए। यह मतदाताओं को हक है। इसके साथ ही चुनावी बॉण्ड पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

 एसबीआई को निर्देश दिया 6 मार्च तक चुनावी बॉण्ड की पूरी जानकारी सार्वजनिक करे। इसके साथ ही कहा कि 13 मार्च तक इसकी पूरी जानकारी चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर डाले। अब तक जा बॉण्ड कैश नहीं कराए गए हैं वह भी वापस किए जाएं। चुनावी बॉण्ड सिस्टम में पारदर्शिता नहीं है। चुनावी बॉण्ड सूचना के अधिकार कानून का भी उल्लंघन है।

केंद्र सरकार ने 2017 के बजट में चुनावी बॉन्ड की घोषणा की। इसे फिर 2018 में लागू किया गया। अब हर तिमाही एसबीआई 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करता है। ऐसा बताया जाता है बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है। फिर चाहे वह कोई व्यक्ति हो, संस्था हो और फिर कंपनी हो।          

इसके माध्यम से अपनी पसंदीदा पार्टी को चंदा दिया जा सकता है। चुनावी बॉन्ड को वही राजनीतिक दल ले सकते हैं जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत हैं। इसके साथ ही चुनाव में लोकसभा या विधानसभा के लिये डाले गए वोटों में से कम-से-कम एक फीसदी वोट हासिल किए हों।

चुनावी बॉण्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसबीआई चुनावी बॉण्ड से चंदा लेने वाले सभी राजनीतिक दलों की सूची जारी करें। एसबीआई सभी चुनावी बॉण्ड का ब्यौरा दे जिसे राजनीतिक दलों ने नकद कराया है।  एसबीआई सभी जानकारी 6 मार्च 2024 तक चुनाव आयोग को संपूर्ण जानकारी दे। एसबीआई से मिली जानकारी को चुनाव आयोग 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर डाले।  और चुनावी चंदे को छुपाना सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। 

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