झारखंड में 31 जनवरी से ही सियासी हलचल काफी तेज हो गई है। इस दौरान जमीन और खनन घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया है और उसकी जगह पर चंपई सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए हैं।लेकिन स्थिति यहीं शांत नहीं हो जाती है।राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने चंपई सोरेन को पांच फरवरी को सदन में अपना बहुमत पेश करने के लिए कहा है। इस दौरान सत्ताधारी दल के विधायकों को हैदराबाद में शिफ्ट कराया गया था, ताकि बीजेपी प्रलोभन देकर उनके विधायकों को अपनी तरफ कर चंपई सोरेन के लिए बहुमत साबित करने के दौरान कोई समस्या ना उत्पन्न कर दे और फिर सत्ताधारी दल के सारे किए कराए पर पर पानी ने फेर दे।
हैदराबाद से लौटकर रांची सर्किट हाउस में रुकेंगे सत्ताधारी दल के विधायक
सत्ताधारी दल ने बीजेपी द्वारा सत्ताधारी दल के विधायकों को तोड़ने के डर से हैदराबाद शिफ्ट कर दिया था।लेकिन अब जबकि 5 फरवरी को रांची झारखंड विधानसभा में चंपई सोरेन को बहुमत साबित करना है,इसलिए सत्ताधारी दल के विधायक अब हैदराबाद से वापस रांची लौट रहे हैं। रांची लौटकर ये सभी सर्किट हाउस में रहेंगे, ताकि समय पर सदन में जाकर अपना मतदान कर सकें। झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन वाली सरकार का यह मानना है कि उनके सभी विधायक मजबूती से उनके साथ डटे हुए हैं। भले ही राज्यपाल को इन्होंने 43 विधायकों का समर्थन पत्र दिया है, लेकिन सदन में इनके 47 विधायक उनके पक्ष में मतदान करेंगे।इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा की सीता सोरेन, लॉबिन हेंब्रम और चमरा लिंडा की नाराजगी की बातें सामने आ रही थी। हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा यह दवा कर रही है कि उसने अपने सभी विधायकों को चंपई सोरेन के पक्ष में मतदान के लिए राजी कर लिया है।
हेमंत सोरेन भी करेंगे मतदान
5 जनवरी को रांची विधानसभा में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन द्वारा बहुमत सिद्ध करने के लिए होनेवाले मतदान के दौरान पूर्वमुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी मतदान करेंगे। इस अवसर पर मतदान करने के लिए हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी । हाई कोर्ट ने हालांकि उन्हें विधान सभा में बहुमत सिद्ध करने के लिए होने वाले मतदान करने की अनुमति प्रदान कर दी है, लेकिन हाईकोर्ट ने इसके लिए कुछ शर्ते भी निर्धारित की है। इन शर्तों में एक प्रमुख शर्त यह है कि इस दौरान हेमंत सोरेन मीडियाकर्मियों से बात नहीं करेंगे और दूसरा यह की हेमंत सोरेन आधा घंटा से ज्यादा अपनी पत्नी कल्पना सोरेन या अपने वकील से मुलाकात नहीं करेंगे।
बीजेपी को खेल होने की है उम्मीद
जिस प्रकार से सत्ताधारी दल ने अपने सभी विधायकों को हैदराबाद में शिफ्ट कराया, उस एकजुटता को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने हालांकि प्रत्यक्ष तौर से इधर-उधर कर अपने हाथ को जलाने से भले ही परहेज किया हो, लेकिन जुबान से सत्ताधारी दल को परेशान करने का कोई अवसर नहीं जाने दे रहे हैं। बीजेपी को अभी भी लगता है कि सदन में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन द्वारा बहुमत सिद्ध करने के लिए होने वाले मतदान के दौरान कई विधायक खेल कर सकते हैं और चंपई सोरेन की सरकार गिर सकती है।
हाई कोर्ट में दाखिल एक याचिका के मामले में भी हेमंत सोरेन को लगा झटका
5 फरवरी को मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने के दौरान होने वाले मतदान में भाग लेने के अलावा हेमंत सोरेन ने अपने वकील के माध्यम से एक और याचिका हाईकोर्ट में दाखिल करवाया था। इस याचिका में हेमंत सोरेन के झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री होने और यहां की एक बड़ी राजनीतिक दल के कार्यकारी अध्यक्ष होने की वजह से सुरक्षा मामलों का हवाला देते हुए रिमांड की अवधि में कैंप जेल में रहने की अनुमति मांगी थी। हेमंत सोरेन के वकील द्वारा दाखिल याचिका का ईडी ने अपने तर्कों से जबरदस्त विरोध किया था।हेमंत सोरेन के वकील ने भी इस पर जिरह की थी जिसके बाद 3 फरवरी को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।आज हाईकोर्ट ने इसका फैसला सुनाते हुए हेमंत सोरेन की रिमांड अवधि में कैंप जेल में रखने की प्रार्थना वाली याचिका को खारिज कर दिया।