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भारत जोड़ो न्याय यात्रा में जमीन नापकर कांग्रेस को कितना लाभ पहुंचा पाएंगे राहुल

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हिंदुत्व वादी सोच रखने वालों को तो अपनी पार्टी से जोड़ने में सफल दिख ही रही है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर किए जाने वाले अनुष्ठान के तहत दक्षिण भारत के राज्यों के मंदिरों में पूजा – अर्चना के साथ – साथ लोगों से 22 जनवरी तक अपने मंदिरों में सफाई अभियान चलाने, और रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन मंदिरों दीप जलाने की बात कहकर वहां भी हिंदुत्ववादी सोच रखने वालों को अपनी पार्टी के पक्ष में करने में जुटे हुए हैं।साथ ही कई कल्याणकारी योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास कर वे दक्षिण भारत के आम मतदाताओं को भी अपनी पार्टी के पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि न सिर्फ आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में बल्कि उसके बाद होने वाले विभिन्न राज्यों की विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को इसका चुनावी लाभ मिल सके।

वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की इस हिंदुत्ववादी और कल्याणकारी योजनाओं वाली नीति की काट के रूप में कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में पूर्व से पश्चिम की भारत जोड़ो न्याय यात्रा प्रारंभ किया है।ऐसे राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर इस बात की चर्चा होने लगी है कि इस भारत जोड़ो न्याय यात्रा से कांग्रेस बीजेपी को टक्कर देने के लिए कुछ वोट हासिल कर पाएगी या सिर्फ रास्ता ही नापकर रह जायेगी। समीक्षा क्रम में कांग्रेस की रणनीति को देखें तो इससे कई बातें स्वत:स्पष्ट हो जायेगी।

इंडिया गठबंधन की सीट शेयरिंग पर असर

दिल्ली की बैठक में हालांकि इंडिया गठबंधन के नेताओं ने 31 दिसंबर 2023 को ही सीट शेयरिंग के लिए अंतिम तिथि निर्धारित किया था, लेकिन अब जनवरी के आधा माह बीत जाने के बावजूद भी इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग नहीं हो पाई है। कांग्रेस पार्टी ने हालांकि सीट शेयरिंग के लिए मुकुल वासनिक की अध्यक्षता में अपने दल की टीम बंकी है,जो इन तमाम बातों पर नजर रखेगी और इंडिया गठबंधन के विभिन्न घटक दलों से सीट शेयरिंग पर बात करेगी, लेकिन जिस प्रकार से भारत जोड़ो नया यात्रा को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे,राहुल गांधी जैसे पार्टी के तमाम बड़े नेता इसके केंद्र बिंदु से दूर चले गए हैं, उससे इंडिया गठबंधन के सीट शेयरिंग को सुलझाने में एक बड़ी कठिनाई आ सकती है।

हाइब्रिड मोड की यात्रा

भारत जोड़ो नयाय यात्रा से पूर्व राहुल गांधी द्वारा किया गया दक्षिण भारत से उत्तर भारत की भारत जोड़ो यात्रा पूर्ण रूप से पैदल यात्रा थी,जिसमें बड़ी संख्या में खासकर बीजेपी विरोधी रुख रखने वाले लोग उनसे जुड़ते थे और अपनी भावनाओं को राहुल गांधी के समक्ष व्यक्त करते थे।वहीं राहुल गांधी के नेतृत्व वाली पूर्व से पश्चिम की भारत जोड़ो न्याय यात्रा एक हाइब्रिड यात्रा होगी। यानि इसमें राहुल गांधी रास्ते का बड़ा हिस्सा बस से तय करेंगे और कुछ-कुछ जगहों पर पैदल चलेंगे। ऐसे में जिस प्रकार से लोग भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी से जुड़ पा रहे थे, उस तरह का जुड़ाव इस यात्रा में संभव नहीं हो पाएगा।

यात्रा का रूट प्लान

14 जनवरी को मणिपुर के राहुल गांधी के नेतृत्व में शुरू हुई कांग्रेस की यह भारत जोड़ो न्याय यात्रा 20 मार्च को मुंबई में पहुंचकर संपन्न हो जाएगी। इस दौरान यह यात्रा नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय,असम ,पश्चिम बंगाल, बिहार झारखंड ,उत्तर प्रदेश,राजस्थान,मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़, राजस्थान उड़ीसा और गुजरात समेत 15 राज्यों को कवर करेगी। राहुल गांधी के नेतृत्ववाली यह यात्रा 355 लोकसभा सीटों को कवर करेगी जो कल 543 सीटों के मुकाबले लगभग 65% है।इन सीटों में से अधिकांश सीटों पर पिछले चुनाव में कांग्रेस को या तो सफलता नहीं मिली थी या काफी कम सफलता मिली थी। इस स्थिति में एक तो कांग्रेस जिस 300 सीट से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की इंडिया गठबंधन के तहत बात कर रही है, उसे बल मिलेगा साथ ही यहां उसकी स्थिति थोड़ी मजबूत भी हो सकती है।

राम मंदिर से बने माहौल को काउंटर करने की रणनीति

22 जनवरी को रामलाल की मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्तर प्रदेश समय हिंदी पट्टी में माहौल पूरी तरह से राममय हो गया है और बीजेपी इसका लाभ लेती नजर आ रही है। ऐसे में राहुल गांधी के नेतृत्व वाले कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बहाने कांग्रेस के बड़े नेता पूर्वोत्तर के राज्यों में रहेंगे, जहां हिंदुत्ववादी और बीजेपी के प्रति सोच रखने वाले लोगों के साथ ही अन्य मतावलंबियों और धर्मावलंबियों की संख्या कहीं ज्यादा है।यहां वे अपनी पैठ बना सकते है।जब राहुल गांधी की यात्रा हिंदी बेल्टों खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पहुंचेगी, तब तक कांग्रेस को लगता है कि शायद इन क्षेत्रों में राममय होने का ज्वार समाप्त हो जाएगा या नहीं तो काफी कम हो जाएगा।तब इस स्थिति में राहुल गांधी को अपनी बात लोगों को बताने का अवसर मिल पाएगा।

संगठन में नए सिरे से जान फूंकने की रणनीति

राहुल गांधी के नेतृत्व वाले कांग्रेस की न्याय यात्रा जो मणिपुर से प्रारंभ होकर मुंबई में समाप्त होने तक 355 लोकसभा सीटों को कवर करेगी। कांग्रेस का पिछले चुनाव में इन क्षेत्रों में प्रदर्शन बेहद खराब रहा था और ज्यादातर जगहों पर यह चुनाव जीतने में असमर्थ रही थी। इस हार की वजह से में इन क्षेत्रों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल भी काफी गिरा हुआ है।ऐसे में राहुल गांधी,और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे कांग्रेस के बड़े नेताओं के इन क्षेत्रों में जाने से इन कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ सकता है और वे फिर दुगने उत्साह से चुनाव की तैयारी में जुड़ सकते हैं।

ओबीसी पॉलिटिक्स की राजनीति

राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की यह भारत जोड़ो न्याया यात्रा 15 राज्यों की 355 लोकसभा सीटों को कवर करेगी। हालांकि यह यात्रा हाइब्रिड यात्रा है, जिसमें कांग्रेस के ये बड़े नेता एक लंबी दूरी बस से तय करेंगे।लेकिन इसके बावजूद रास्ते में ये जो सभाएं करेंगे या इन राज्यों में पैदल चलेंगे उस दौरान जिन लोगों से ये जुड़ेंगे उनमें यह ओबीसी की रहनुमा होने की बात कर सकते हैं, पूरे देश में जातिगत जनगणना करने की बात कहकर ओबीसी का वोट बैंक प्राप्त करने का प्रयास आसानी से कर सकते हैं।गौरतलब है कि पिछले वर्ष नवंबर में हुए पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस का यह ओबीसी कार्ड बुरी तरह से फ्लॉप हुआ था और उसके जाति के आधार पर समाज को बांटने वाले नीति के विरुद्ध प्रधानमंत्री ने सिर्फ महिला, युवा, कामगार और गरीब जैसी चार ही जातियां होने की बात कर कांग्रेस को तीन राज्यों में जबरदस्त पटकनी दे दी थी।

राहुल गांधी की आमजन वाली इमेज गढ़ने की नीति

भारत छोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी जहां बस से नहीं चल रहे होते हैं,वहां वे अपनी सभाओं में और पैदल यात्राओं के दौरान लोगों से भी मिल रहे हैं, उनसे बातें कर रहे हैं , और उनके दुख दर्द जानने का प्रयास कर रहे हैं और चुनाव जीतकर सत्ता मेंआने की स्थिति में उसका समाधान देने की भी बात कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी का यह प्रयास है कि वह राहुल गांधी को पीएम का चेहरा बताने के साथ-साथ उसके आम जनों से जुड़ने वाली इमेज भी तैयार कर ले, जिसका फायदा आगामी लोकसभा चुनाव मे  उठाया जा सके।

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