बीरेंद्र कुमार झा
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब इसरो एक नए मिशन पर जुड़ गया है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एक कार्यक्रम के दौरान उस मिशन की जानकारी दी है।इस मिशन के तहत इसरो 4 साल में चांद से नमूना वापस लाने की तैयारी में है। इस मिशन के लिए चंद्रयान 4 लॉन्च करने की इसरो के द्वारा तैयारी की जा रही है।जानकारी देते हुए इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का पहला मॉडल 2018 तक लांच किया जाएगा। यह भारत का नियोजित का अंतरिक्ष स्टेशन होगा,जो रोबोट की वजह से प्रयोग करने में सक्षम होगा।
पीएम मोदी ने चांद पर आदमी भेजने को कहा था
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में एक व्याख्यान के दौरान बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पहले अंतरिक्ष एजेंसी से 2035 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चांद पर एक आदमी भेजने का आह्वान किया था।माना कि फिलहाल यह मिशन अभी दूर नजर आ रहा है,लेकिन प्रयास लगातार किया जा रहा है कि मानव अंतरिक्ष यान बनाया जा सके जिसे संभवतः अगले 3 से 4 वर्षों में लॉन्च किया जाएगा।
अंतरिक्ष यान कैसे करेगा काम
प्राप्त जानकारी के अनुसार एसपीडीएएक्स का प्रयोग खुद डोकिंग क्षमता प्रदर्शित करेगा। गौरतलब है की डॉकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जहां दो अंतरिक्ष यान एक सटीक कक्षा में संरेखित होते हैं और एक साथ जुड़ जाते हैं। इस तरह की तकनीक चंद्रयान-4 में लगाने की योजना बनाई जा रही है। मिशन के बारे में बताते हुए इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि दो उपग्रहों जो एक दूसरे से जुड़े हुए होंगे लॉन्च किए जाएंगे,फिर ये यह अलग हो जाएंगे और कुछ किलोमीटर की यात्रा करेंगे और फिर वापस जुड़ जाएंगे।
विकसित करनी होगी तकनीक
क्योंकि रूस के पीछे हटने के बाद भी भारत ने चंद्रयान दो और चंद्रयान तीन मिशन पर लैंडर और रोवर को सफलतापूर्वक विकसित किया। इसरो अध्यक्ष इसरो अध्यक्ष या सोमनाथ ने बताया की नमूना वापसी के लिए हमने लर्निंग के लिए जो विकसित किया है उससे कहीं अधिक तकनीक की आवश्यकता है। ऐसे में यह साफ हो रहा है कि फिलहाल जो तकनीक इसरो के पास है उसे और बढ़ाने के बाद ही यह मिस। संभव हो सकेगा।
कब हो सकता है रॉकेट लॉन्च
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया 2028 में पहला मॉड्यूल मौजूद रॉकेट के साथ लांच किया जा सकता है। पूरे अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिए एक भारी लॉन्च व्हीकल की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि इसरो नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल डिजाइन करने पर काम कर रहा है, जिसकी क्षमता 16 से 25 टन को पृथ्वी के निचली कक्षा में ले जाने की होगी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसरो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और इन देशों के बीच एक साझा इंटरफेस बनाने के लिए नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ चर्चा कर रहा है।