बीरेंद्र कुमार झा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की लंबित मामले निपटाने और सुनवाई टालने के तरीकों पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी कदम उठाने की तत्काल जरूरत है।अदालत ने कहा कि भारत में लगभग 6% आबादी मुकदमेबाजी में उलझी है। ऐसे में अदालतों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
लंबित मामले के निपटारे के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता
अदालत ने कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि सभी स्तरों पर लंबित मामले के निपटारे के लिए सक्रिय कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता है।यही नहीं अदालत ने आगे कहा कि त्वरित न्याय चाहने वाले वादियों की आकांछाएं पूरा करने और सुनवाई टालने के तरीकों पर अंकुश लगाने के लिए सभी हितधारकों को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है ।
न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट (सेवानिवृत्त) और न्यायमृति अरविंद कुमार की पीठ ने शुक्रवार को दिए गए आदेश में जिला और तालुका स्तर के सभी अदालतों को समन की तामिल कराने ,लिखित बयान दाखिल करने ,दलीलें पूरी करने, याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार या इनकार करने की रिकॉर्डिंग और मामलों के त्वरित निपटारे आदि के निर्देश दिए ।
पुराने मामलों की लगातार निगरानी के लिए राज्यों के मुख्य न्यायाधीश द्वारा समिति का हो गठन
पीठ ने 5 साल से अधिक समय से लंबित पुराने मामलों की लगातार निगरानी के लिए संबंधित राज्यों के मुख्य न्यायाधीश द्वारा समिति के गठन का भी निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि लोग न्याय की आश में अपने वाद दायर करते हैं।इसलिए सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी है कि न्याय मिलने में देरी के कारण इस प्रणाली में लोगों का विश्वास कम ना हो।