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चांद पर उतरने के बाद अब क्या करेगा चंद्रयान-3

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बीरेंद्र कुमार झा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से लेंस लैंडर मॉड्यूल की सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता प्राप्त की।भारतीय समय के अनुसार शाम करीब 6:04 पर उसने चांद की सतह को छुआ,जिसके बाद से पूरे देश में जश्न का माहौल देखा जा रहा है। इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश तथा चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन चुका है।

चंद्रयान 3 के सफल लैंडिंग से जुड़ी कुछ खास बातें

* चंद्रमा की सतह पर 30 किलोमीटर की ऊंचाई से उतरा लैंडर विक्रम
* चांद पर उतरते ही लैंडर विक्रम का साइड पैनल मुंडा रोवर प्रज्ञान के उतरने के लिए खुला रास्ता
* लैंडर पर लगे तीन पेलोड्स प्लाज्मा, तापमान,व भूकंपीय क्षेत्र की करेंगे स्टडी
* लेंडर के सेंसर चांद की सतह पर मौजूद खनिजों की करेंगे पहचान
*4 घंटे बाद रोवर पर ज्ञान लैंडर से निकलेगा बाहर
*14 दिनों तक रोवर करेगा चांद की सतह का अध्ययन
*चांद के मौसम के साथ और वहां मिलने वाले पानी का पता लगाएगा

चंद्रयान 3 मिशन की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीका से दी बधाई

इसरो के महत्वकांछी तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान 3 के लैंडर मॉड्यूल ने बुधवार शाम चंद्रमा की सतह को चुमकर अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता की एक नई इबारत रची। वैज्ञानिकों के अनुसार सारी प्रक्रियाएं पूर्ण निश्चित योजनाओं के अनुरूप ठीक से चली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए दक्षिण अफ्रीका से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं,तो जीवन धन्य हो जाता है ।ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्रीय जीवन की चिरंजीवी चेतना बन जाती है।

चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग

इस बीच इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा हमने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता हासिल कर ली है।भारत चांद पर है। यह एक ऐसी सफलता है जिसे न केवल सिर्फ इसरो के वैज्ञानिक बल्कि भारत का हर आम और खास आदमी टीवी की स्क्रीन पर टकटकी लगाए देख रहा था।देश में अनेक स्कूलों में बच्चों के लिए इस ऐतिहासिक घटना का सीधा प्रसारण किया गया। यह सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल में रूस का लूना 25 चांद पर उतरने की कोशिश करते समय दुर्घटना का शिकार हो गया था।

शाम करीब 6:04 बजे चंद्रयान का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर हुआ सॉफ्ट लैंडिंग

लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से लैस लैंडर मॉड्यूल ने बुधवार शाम करीब 6:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर एक ऐसी उपलब्धि हासिल किया जो अब तक किसी भी देश को हासिल नहीं हुई है। चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता हासिल कर भारत ऐसी उपलब्धि प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, पूर्ववर्ती सोवियत संघ और चीन के नाम ही था यह रिकॉर्ड था। लेकिन ये देश भी अब तक चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर विजय प्राप्त नहीं कर पाए हैं। हालांकि भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने यह साहसिक कारनामा सफलतापूर्वक कर दिखाया है।

30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर ने पावर ब्रेकिंग फेज में कदम रखा

इसरो के अधिकारियों के मुताबिक लैंडिंग के लिए लगभग 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर ने पावर ब्रेकिंग फेज में कदम रखा और गति को धीरे-धीरे कम करके चंद्रमा की सतह तक पहुंचाने के लिए अपने चार थ्रस्ट इंजन की रेट्रो फायरिंग करके उसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया ।उन्होंने बताया कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया ताकि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण लैंडर क्रश ना हो जाए।अधिकारियों के अनुसार 6.8 किलोमीटर ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजन का इस्तेमाल हुआ और बाकी दो इंजन बंद कर दिए गए।जिसका उद्देश्य सत्ता के और करीब आने के दौरान लैंडर को रिवर्स थ्रस्ट (सामान दिशा के विपरीत दिशा में धक्का देना ताकि लैंडिंग के बाद लैंडर की गति को धीमा किया जा सके ) देना था।

लेंडर ने अपने सेंसर और कैमरा का इस्तेमाल कर सकता है की जांच की

अधिकारियों ने बताया कि लगभग 150 से 100 मीटर की ऊंचाई तक पर पहुंचने पर सिलेंडर ने ऑपरेशन कर और कैमरे का इस्तेमाल कर सकता है की जांच की तकिया पता चल सके कि कहीं कोई बड़ा तो नहीं है और फिर उसने शॉप लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू कर दिया इसरो के अनुसार चंद्रमा की सत्ता और आसपास के वातावरण का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर के पास एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन के बराबर )का समय होगा ।हालांकि वैज्ञानिकों ने दोनों के एक और चंद्र दिवस तक सक्रिय रहने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है।

 

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