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UNSC में भारत को मिले स्थायी सदस्यता, ब्रिटेन के बाद फ्रांस ने किया समर्थन

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नई दिल्ली: शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सामने ब्रिटेन के बाद, फ्रांस ने नई स्थायी सीटों के निर्माण के लिए भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील को अपना समर्थन दिया है। शुक्रवार को सुरक्षा परिषद सुधार पर यूएनएससी की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए यूएन में फ्रांस की उप प्रतिनिधि नथाली ब्रॉडहर्स्ट एस्टीवल ने कहा कि फ्रांस स्थायी सीटों के लिए स्थायी सदस्यों के रूप में जर्मनी, ब्राजील, भारत और जापान की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।’ ब्रिटेन ने स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में यूएनएससी के विस्तार का आह्वान किया है और जर्मनी, जापान और ब्राजील के लिए स्थायी सीटों का भी समर्थन किया है।

ब्रिटिश राजदूत बोले- हम भारत के लिए स्थायी प्रतिनिधित्व का समर्थन करते हैं

ब्रिटिश राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने चर्चा के दौरान कहा कि ब्रिटेन लंबे समय से स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में सुरक्षा परिषद के विस्तार पर जोर देता रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा रुख सर्वविदित है। ब्रिटेन लंबे समय से स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में सुरक्षा परिषद के विस्तार पर जोर देता रहा है। हम भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील के लिए नयी स्थायी सीट के सृजन के साथ ही परिषद में स्थायी अफ्रीकी प्रतिनिधित्व का समर्थन करते हैं। हम अस्थायी श्रेणी के विस्तार का भी समर्थन करते हैं। वुडवर्ड ने कहा कि इन परिवर्तनों के साथ ही परिषद मौजूदा विश्व की वृहद प्रतिनिधि होगी।

फ्रांस ने भी किया भारत का समर्थन

फ्रांस ने भारत समेत जर्मनी, ब्राजील और जापान को भी सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। फ्रांस की ओर से प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र देशों को बताया कि संघ में और नई ताकतों को भी समाहित करना चाहिए जो कि सक्षम हैं और जिम्मेदारी को समझते भी हैं। फ्रांस की ओर से यूएन में पर्मनेंट प्रतिनिधित्व कर रहे नथालिए ब्रोडहर्स्ट ने कहा कि फ्रांस की स्थिति बहुत स्थायी और मजबूत है, हम काउंसिल में नए विश्व के अन्य प्रतिनिधियों को जोड़ना चाहते हैं। यह संगठन की अथॉरिटी और प्रभाव को और बल देगा।

गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने निकाय में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। जबकि चीन हमेशा भारत के लिए स्थायी सदस्यता का विरोध करता रहता है।

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