रांची (बीरेंद्र कुमार): उत्तर 24 परगना जिला की एक अदालत ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादियों मोहम्मद यूनुस ,मोहम्मद अब्दुल्ला और मुजफ्फर अहमद राठौर को जनवरी 2017 में मौत की सजा सुनाई थी तथा चौथे आतंकवादी अब्दुल नईम को दिसंबर 2018 में देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए मृत्युदंड दिया था। लेकिन चारों आतंकवादी बरी हो जाएंगे।
हाईकोर्ट में पलटा फैसला
कोलकाता उच्च न्यायालय ने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए मृत्युदंड प्राप्त दो पाकिस्तानी नागरिकों समेत लश्कर-ए-तैयबा के चार आतंकवादियों को बरी कर दिया। हालांकि अदालत ने उन्हें अन्य अपराधों के लिए सजा सुनाई। चारों को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने का दोषी पाया गया था तथा 10 साल के कठोर कारावास की सजा भी सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति अनन्या बंधोपाध्याय की खंडपीठ ने चारों दोषियों को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत आरोपों से बरी कर दिया।
आतंकियों पर भारत के खिलाफ षडयंत्र रचने का है आरोप
पीठ ने निर्देश दिया कि पाकिस्तानी नागरिकों मोहम्मद युनूस तथा मोहम्मद अब्दुल्ला को उनके देश वापस भेजा जाए। यह दोनों पहले ही सजा काट चुके हैं अदालत ने निर्देश दिया कि दोनों भारतीय नागरिक आईपीसी की धारा 121 के तहत देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का षड्यंत्र रचने का दोषी पाए गए और सजा की अवधि पूरी कर चुके हैं। अदालत ने कहा मुजफ्फर अहमद राठौर को सुधार गृह से रिहा किया जाए जबकि एस के नईम को एक अन्य मामले के संबंध में दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत के समक्ष पेश किया जाए ।
कोर्ट ने आतंकियों का जुर्माना भी किया रद्द
खंडपीठ ने मौत की सजा देने वाली एक सत्र न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपीलों पर दिए अपने आदेश में कहा “आईपीसी की धारा 121 के तहत बरी किए जाने के मद्देनजर अपील करता को मिली मौत की सजा तथा 50-50 हजार के जुर्माने को रद्द किया जाता है” अदालत ने कहा कि आपराधिक ताकत का प्रदर्शन कर लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की क्षमता को आतंकित करने के युद्ध करने की साजिश रचने से संबंधित आईपीसी की धारा 121 के तहत अपराध गंभीर प्रति का है तथा इसमें एक ऐसे आतंकवादी संगठन से प्रेरित सदस्य शामिल हैं जिसका उद्देश्य देश में आतंक फैलाना तथा राष्ट्र को अस्थिर करना है।
मोहम्मद यूनुस और मोहम्मद अब्दुल्ला को पाकिस्तान भेजने का दिया निर्देश
अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता ऐसे लोग नहीं हैं, जो आतंकवादी संगठन के शीर्ष पद पर बैठे थे। अदालत ने कहा कि वे ऐसे योद्धा हैं, जिन्हें संगठन की गतिविधियों के लिए लालच देकर या बलपूर्वक भर्ती किया गया है । अदालत ने कहा ” चूंकि मोहम्मद यूनुस और मोहम्मद अब्दुल्ला अपनी सजा पूरी कर चुके हैं , तो उचित प्राधिकारियों को उन्हें उनके मूल देश यानी पाकिस्तान भेजने का निर्देश दिया जाता है।