पटना (बीरेंद्र कुमार): बिहार में इन दिनों सूदखोर महाजनों का आतंक काफी बढ़ गया है। महाजनों के आतंक की ऐसी ही एक वारदात जमुई में हुई। सूदखोर महाजनों ने कर्ज के तले दबे हुए एक परिवार की स्थिति ऐसी बना दी है कि अब यह परिवार सड़कों पर अपनी नन्हीं सी बच्ची को बेचने के लिए भटक रहा है।
क्या है मामला
झाझा थाना क्षेत्र के पुरानी बाजार स्थित महादलित टोला का एक मजदूर 1 साल पहले रामगढ़ की एक ईंट भट्ठा पर अपने परिवार के साथ काम करने गया था। इस दौरान उसने ठेकेदार से ₹5 हजार ब्याज पर लिया था। सूद पर पैसा लेने के बाद वह पूरे परिवार के साथ 7 महीने तक उसी चिमनी भट्टे में काम करता रहा। लेकिन इसके पैसा वसूल नहीं हुआ उल्टे इसका ब्याज बढ़ता चला गया।
लगातार बिना मजदूरी से काम करता रहा पीड़ित
लगातार बिना मजदूरी के भट्ठा पर काम करने और उसके बावजूद कर्ज चुकता नहीं होने की स्थिति में वह मजदूर वहां से भाग कर अपना घर चला आया। लेकिन सूदखोर ठेकेदार ने कुछ अन्य मजदूरों का साथ लेकर इसके 10 वर्षीय बेटे को इसके घर से उठवा कर बंधक बना लिया। बेटा के इस प्रकार जबरन बंधक बना लिए जाने के बाद मजदूर ने सूदखोर ठेकेदार से बात किया। सूदखोर ठेकेदार ने कहा कि ली गई राशि से 5 गुना पैसा अधिक होने के बाद ही उसके 10 वर्षीय बेटा रिहा किया जाएगा।
बंधक बेटे को छुड़ाने के लिए अपने मासूम बच्ची को बेचने के लिए निकले मजदूर दंपति
मासूम बच्ची को गोद में लिए हुए यह दंपत्ति झाझा बाजार के सड़कों पर घूम घूम कर अपनी मासूम बच्ची को बेचने का प्रयास कर रहे थे। झाझा बाजार की एक महिला ने ₹30 हजार में उसकी बेटी को खरीदने का सौदा भी तय कर लिया था। लेकिन बच्चे को सुपुर्द करने से पहले कागजी लिखा पढ़ी की बात आई, जिससे यह मामला उजागर होकर पुलिस तक पहुंच गई। फिर पुलिस के हस्तक्षेप से मासूम बच्ची बिकने से बच गई।
मजदूर परिवार में बंधक बेटे को छुड़ाने की लगाई गुहार
उस मजदूर परिवार ने सूदखोर ठेकेदार सूदखोर के कब्जे से अपने बेटे की रिहाई कराने की पुलिस से गुहार लगाई। उन लोगों ने पुलिस को बताया किस प्रकार ठेकेदार सूदखोर के द्वारा बंधक बनाए गए उसके बेटे के साथ मारपीट की जाती है। मारपीट करने के बाद वह फोन पर इसके 10 वर्षीय बेटे के रोने की आवाज भी सुनाता है, और जल्दी से जल्दी पैसा लेकर आने की बात कहता है। अब देखना यह है कि पुलिस इस मामले को निबटाकर इसका ,10 वर्षीय बालक इसे दिलवा पाती है या नहीं।