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मणिपुर के विस्थापितों से हलकान मिजोरम अब दान मांगने को मजबूर ,मोदी सरकार से नहीं मिल रहा दान !

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न्यूज़ डेस्क 
मणिपुर में हिंसक खेल और कंगाली की हालत में परेशान मिजोरम। यह किसी घटना का साइड इफेक्ट है। हिंसाग्रस्त मणिपुर से भागते लोग मिजोरम पहुँच रहे हैं और वहां शरणार्थी कैंपों में ठहर रहे हैं। लेकिन मिजोरम सरकार अब इन शरणार्थियों की मदद करने की स्थित में नहीं है। मिजोरम सरकार शरणार्थियों की मदद के लिए लगातार केंद्र सरकार से गुहार भी लग रही है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने अब तक कोई मदद नहीं की है। अब मिजोरम सरकार दान मांगने को मजबूर है और अपने अधिकारियों के जरिये वह दान मांगने की तैयारी कर रही है।        
   मिजोरम सरकार ने कहा कि मणिपुर में हिंसा फैलने के बाद वहां से पलायन कर आए लोगों को राहत और पुनर्वास उपलब्ध कराने में धन की कमी का मुकाबला करने के लिए उसने सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और जनता से धन जुटाने का फैसला किया है। राज्य गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और आम लोगों से दान मांगा जाएगा।
                 अधिकारी ने कहा कि पर्यटन मंत्री रॉबर्ट रोमाविया के नेतृत्व में राज्य के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले महीने गृह सचिव अजय कुमार भल्ला सहित केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की और उनसे मणिपुर के विस्थापित लोगों को राहत और आश्रय के लिए धन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के अधिकारियों की प्रतिक्रिया सकारात्मक थी, लेकिन राज्य को अभी तक कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली है।
                 बता दें कि मिजोरम के सीएम ज़ोरमथंगा ने भी 16 मई और 23 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो पत्र लिखे थे और मणिपुर के विस्थापितों को राहत देने के लिए 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की मांग की थी। मणिपुर में 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के तुरंत बाद कुकी-ज़ो-ज़ोमी समुदाय के आदिवासियों ने मिजोरम में आना शुरू कर दिया था। राज्य में वर्तमान में मणिपुर से आए 12,000 विस्थापित रह रहे हैं। विस्थापितों ने मिजोरम के सभी 11 जिलों में राहत शिविरों, किराए और रिश्तेदारों के घरों, चर्चों, सामुदायिक केंद्रों और अन्य स्थानों पर शरण ली हुई है।
            इसके साथ ही म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के कारण वहां से आए लगभग 35,000 शरणार्थियों को मिजोरम पहले से पनाह दे रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों से 1,000 से अधिक शरणार्थी आए हुए हैं, जहां सेना की कार्रवाई के कारण आदिवासियों को अपने गांव छोड़ने पड़े। पर्वतीय राज्‍य मिजोरम की म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा और बांग्लादेश के साथ 318 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है।
           मिजोरम सरकार केंद्र से राज्‍य में शरण लिए हुए म्यांमार के लोगों को शरणार्थी के रूप में मान्यता देने और मणिपुर, म्यांमार और बांग्लादेश के सभी लोगों को भोजन और राहत प्रदान करने के लिए धन देने की मांग कर रही है। लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक मणिपुर के विस्थापित लोगों और पड़ोसी देशों के शरणार्थियों के लिए कोई वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की है।

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