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बड़े लुभावने हैं बेवस जनता के बीच कर्नाटक में गरजते नेताओं के बोल !

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अखिलेश अखिल 

कर्नाटक में चुनाव की तारीख जैसे -जैसे नजदीक आ रही है नेताओं की जमघट बढ़ती जा रही है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस बार भयंकर मुकाबला है। बीजेपी किसी भी सूरत में सत्ता बचाने की चुनौती से जूझ रही है। बीजेपी को डर है कि कर्नाटक हाथ से निकल गया तो दक्षिण का खेल सदा के लिए गड़बड़ हो जाएगा। और दक्षिण का खेल कमजोर पड़ा तो आगामी लोकसभा चुनाव के मायने भी बदलभी जायेंगे। इसी सोंच को लिए बीजेपी ने अभी सभी नेताओं को मैदान में उतार दिया है। राजनाथ सिंह भी कर्नाटक के मैदान में हैं तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी चुनावी सभा को सम्बोधित करते नजर आ रहे हैं। अमित शाह की परेशानी भी कुछ कम नहीं। वे लगातार चुनाव की हर बारीकियों को समझ रहे हैं और कांग्रेस पर कोई भी वार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। अभी तक कर्नाटक के चुनाव में पीएम मोदी की इंट्री नहीं हुई है। कहा जा रहा है कि आगामी 28 तारीख से वे भी मैदान में उतरेंगे। बीजेपी को भरोसा है कि जब मोदी मैदान में उतर जायेंगे बीजेपी की साख लौट आएगी। बीजेपी की जीत होगी। लेकिन क्या यह सब इतना आसान है ?सच तो यही है कि इस बार के चुनाव में बीजेपी घिर चुकी है और कांग्रेस का वार बीजेपी के लिए असहनीय हो गया है।        
बुधवार को कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने लगातार दूसरे दिन चुनाव प्रचार किया। बीजेपी  की ओर से अमित शाह का तीन दिन का दौरा समाप्त हुआ तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई स्टार प्रचारकों ने राज्य के अलग अलग हिस्सों में प्रचार किया। आदित्यनाथ ने मांड्या में, राजनाथ सिंह ने बेलगावी और शिवराज सिंह चौहान ने बेलगावी में रोड शो और सभाएं कीं। खूब भीड़ जुटी और नेताओं ने खूब बोला। बहुत से आश्वासन दिए। जनता ने तालियां भी बजाई। जयकारे भी लगे। लेकिन बीजेपी को संतोष कहाँ ! उसे डर है है कि जो जनता आज जयकारे लगा रही है कल अगर उसके इरादे  बदल गए तो क्या होगा ? लेकिन अभी बीजेपी को एक संतोष यही है कि पीएम मोदी जब मैदान में उतरेंगे तो सब ठीक हो जाएगा। बीजेपी की सबसे बड़ी परेशानी बीजेपी के बागी नेताओं से हैं और जो लोग पार्टी को छोड़कर कांग्रेस के साथ जुड़े हैं वे कोई मामूली नेता नहीं है। कर्नाटक की धरती पर उनकी भी साख है। जगदीश शेट्टार की साख तो कही ज्यादा ही। 
    बड़ा ही मनोरम खेल कर्नाटक में जारी है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मैसूरु के एक रेस्टोरेंट में जाकर डोसा बनाया और लोगों के साथ बैठ कर खाया। उन्होंने बच्चों से बातचीत भी की। उन्होंने चिकमंगलूर जिले के श्रृंगेरी में जनसभा को संबोधित किया। प्रियंका ने राहुल की लोकसभा सदस्यता खत्म करने का मुद्दा उठाते हुए कहा- इंदिरा गांधी के खिलाफ भी एक केस लगाकर उन्हें संसद से निकाल दिया गया था। आप उन्हें संसद में वापस लाए। आज उनके पोते राहुल पर भी फर्जी केस डालकर संसद से निकाल दिया गया है। राहुल को पूरा विश्वास है कि इस देश की जनता हमारे साथ खड़ी रहेगी। तालियां बजती रही लेकिन ताली बजने वाले कांग्रेस का साथ कितना देंगे यह कांग्रेस को पता नहीं। अधिकतर भीड़ प्रियंका को देखने आती है या कांग्रेस को वोट देना चाहती है यह भी कोंग्रेसियों को कहाँ पता !
     उधर ,भाजपा के स्टार प्रचारक राजनाथ सिंह ने बेलगावी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा- कांग्रेस ने धर्म के आधार पर आरक्षण देकर भारत के संविधान की अवमानना की। उन्होंने इमरजेंसी को याद करते हुए कहा- 1975 में मनमाने तरीके से संविधान में संशोधन कर आपातकाल लगाकर लाखों की संख्या में लोगों को जेल में डाल दिया। भाजपा कभी ऐसा पाप नहीं कर सकती, चाहे सत्ता मिले या न मिले।    राजनाथ सिंह ने कहा उसका अवलोकन कीजिये। क्या वे सच कह रहे हैं। कर्नाटक की जनता भी आपस में बात कर रही है कि इसी महाशय के गृहमंत्री रहते पुलवामा का कांड हो गया लेकिन इस पर कुछ नहीं बोलते। राजनाथ सिंह अभी किसी प्रेस वालो से बात नहीं करते। वे भी डर रहे हैं कि कोई उनसे पुलवामा का सच न जान ले। लेकिन प्रचार चल रहा है। लोकतंत्र के नाम पर लोकतंत्र को कलंकित करने का यह खेल कहाँ जाकर रुकेगा यह कहाँ किसी को पता है ?
           भाजपा के दूसरे नेताओं ने भी धर्म आधारित आरक्षण का मुद्दा उठाया। योगी आदित्यनाथ ने मांड्या में कहा- आप सोचिए एक तरफ डबल इंजन की सरकार पीएफआई को बैन करती है। दूसरी ओर कांग्रेस जो पीएफआई का तुष्टिकरण करने का कार्य करती है। उन्हें धर्म के आधार पर रिजर्वेशन देने का काम करती है। धर्म के नाम पर आरक्षण भारत के संविधान के विपरीत है। हमने पिछड़ी जातियों, दिव्यांग जनों और अन्य जरूरतमंदों को आरक्षण का लाभ दिया है।   
क्या योगी साहब जो कह रहे हैं वही सही है ? जनता आपस में बाते भी करती है। जो लोग बीजेपी के समर्थक हैं वे आँख को मूंदकर बप को वोट डालेंगे लेकिन बीजेपी के युवा समर्थक अब शायद ही बीजेपी को वोट डाले यह भी देखा जा रहा है। योगी की राजनीति को कर्नाटक के युवा सही नहीं मानते। हिन्दू -मुसलमान वाली राजनीति युवाओं को परेशान कर रही है। 

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