अमेरिका के नव निर्वार्चित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद और गोपनीयता की शपथ ले ली है और अब समय आ गया है कि चुनाव के वक्त उनके द्वारा जो वायदे किए गए थे , उन्हें पूरा किया जाए। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार यह दोहराया है कि उनकी नीतियां अमेरिका फर्स्ट की होगी।इसके तहत देश में अब जो निर्णय लिए जाएंगे, उसमें अमेरिकियों का हित सर्वोपरि होगा।किसी भी फैसले से अमेरिकियों को होने वाले नुकसान के बारे में सोचकर ही कोई फैसला किया जाएगा।चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगी विवेक रामास्वामी ने भी यह स्पष्ट कहा था कि अमेरिकियों के हित में वे H-1B वीजा को समाप्त कर देंगे।हालांकि अब रामास्वामी ट्रंप प्रशासन का हिस्सा नहीं हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इस आदेश में अमेरिकी विदेश विभाग को यह निर्देश दिया गया है कि वे विदेश नीति अमेरिकी हितों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाएं।ट्रंप की सरकार प्राथमिकता तय करने में अमेरिका और उसके नागरिकों को हर चीज से ऊपर रखेगी। डोनाल्ड ट्रंप ने यह आदेश अमेरिकी सीनेट द्वारा मार्को रुबियो को विदेश मंत्री के रूप में स्वीकार कर लिए जाने के बाद आया है।चुनावी भाषणों के दौरान ही ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अगर वे सत्ता में होते तो रूस-यूक्रेन युद्ध नहीं होता। डोनाल्ड ट्रंप जिस अमेरिका फर्स्ट नीति का समर्थन कर रहे हैं वो ये कहता है कि पहले अपने नागरिकों का हित सोचो। इस लिहाज से ट्रंप और उनकी सरकार रूस और यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन पर पैसे खर्च करना रोक सकती है और उन पैसों का इस्तेमाल मैक्सिको की सीमा पर अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए कर सकती है।विश्व स्वास्थ्य संगठन से किनारा करने का ट्रंप का फैसला भी अमेरिका फर्स्ट पाॅलिसी को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया कदम प्रतीत होता है। नागरिकता को लेकर भी ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी फर्स्ट के सिद्धांत को ही सामने रखा है।ट्रंप ने यह साफ कर दिया है कि अब किसी भी प्रवासी को अमेरिका की नागरिकता नहीं मिलेगी।अब जन्म के आधार पर प्रवासियों के बच्चों को जो नागरिकता मिल जाती है, वह अब संभव नहीं होगा।
अबतक डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह की बयानबाजी की है, उससे यह तो प्रतीत हो रहा है कि भारत-अमेरिका संबंध में कुछ खास सकारात्मक नहीं होने वाला है।अगर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका फर्स्ट की नीतियों को ज्यादा सख्ती से लागू करेंगे तो भारतीयों को नुकसान हो सकता है।साथ ही टैरिफ बढ़ाने से व्यापार पर भी असर होगा। लेकिन चीन के साथ व्यापार कम करने के अमेरिकी फैसले से भारत को फायदा ही होगा, क्योंकि अगर वे चीन के साथ संबंध नहीं रखेंगे तो भारते के साथ व्यापार करेंगे।ट्रंप को यह पता है कि भारत जैसी बढ़ती अर्थव्यवस्था को वो इग्नोर करके अपना ही नुकसान करेंगे, इसलिए उन्होंने भारत के प्रतिनिधि विदेश मंत्री एस जयशंकर को अपने शपथग्रहण समारोह में पहली पंक्ति में जगह दी और अपने इरादे को स्पष्ट कर दिया है कि भारत के साथ अमेरिका के संबंध कैसे हो सकते हैं। हालांकि अगर एच 1 बी वीजा को ट्रंप प्रशासन ने समाप्त किया, तो भारत से अमेरिका जाकर काम करने वालों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है, जिसकी घोषणा ट्रंप ने चुनावों के दौरान की थी। H-1B वीजा लेकर भी अमेरिका सरकार कड़े निर्णय ले सकती है।
अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई ऐसे फैसले लिए हैं जिनकी चर्चा हो रही है।इसमें सर्वप्रमुख है अमेरिका की आव्रजन नीति। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अमेरिका की नौकरियों पर पहला हक अमेरिकियों का है, लेकिन प्रवासी उसमें भी दखलंदाजी करते हैं।उन्हें एक बार वीजा मिल जाने से वे वहां की नागरिकता प्राप्त करने के अधिकारी बन जाते हैं, जिसे रोकना ट्रंप सरकार का उद्देश्य है। वे अमेरिका-मेक्सिकों की सीमा पर दीवार को पूरा कराने की बात कर रहे हैं, ताकि उधर से अवैध रूप से प्रवासी अमेरिका में प्रवेश ना करें।प्रवासियों के कानूनी प्रवेश को रोकने के लिए बनाए गए एप को भी समाप्त कर दिया गया है।राष्ट्रीय सुरक्षा का ध्यान रखते हुए ट्रंप ने यह घोषणा भी की है कि वे पनामा नहर को वापस अपने अधिकार में लेंगे क्योंकि पनामा नहर को बनाने में हजारों अमेरिकन मारे गए थे।