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मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्‍कार,हाथ मलते रह गए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं मिला है। डोनाल्ड ट्रंप बार बार नोबेल पुरस्कार के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। वो ‘सात युद्ध’ में शांति करवाने का दावा करते आ रहे थे। लेकिन बावजूद इसके उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं दिया गया है। इस बार का शांति का नोबेल पुरस्कार मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया है, जो वेनेजुएला की लोकतंत्र समर्थक नेता हैं।डोनाल्ड ट्रंप के लिए ये बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि नोबेल पुरस्कार के लिए उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में क्या नहीं किया है, उन्होंने हर युद्ध में खुद को शांति करवाने वाला मसीहा बताया है।

उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी शांति करवाने के लिए मध्यस्थता करने का दावा किया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था। हालांकि पाकिस्तान ने उनकी भावना को स्वीकार करते हुए उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया था। पाकिस्तान के अलावा इजरायल ने भी डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया था। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिल पाया।

वेनेज़ुएला की लोकतंत्र समर्थक नेता को नोबेल
नोबेल शांति पुरस्कार 2025 इस बार वेनेज़ुएला की लोकतंत्र समर्थक नेता मारिया कोरिना मचाडो को दिया गया है। नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने कहा कि यह सम्मान उन्हें वेनेज़ुएला के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए उनके “अथक संघर्ष” और देश को तानाशाही से लोकतंत्र की ओर ले जाने के प्रयासों के लिए दिया गया है।मचाडो ने विपरीत परिस्थितियों में भी लोकतंत्र की ज्योति जलाए रखी और निरंकुश शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखा। समिति ने उन्हें लैटिन अमेरिका में “नागरिक साहस की असाधारण मिसाल” बताया है। एक समय पर विभाजित विपक्ष को एकजुट कर उन्होंने वेनेज़ुएला में “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव” की मांग को राष्ट्रीय आंदोलन का रूप दिया।

माचाड़ो को यह उपलब्धि तब मिली है जब वेनेज़ुएला में तानाशाही शासन आ चुका है। आज देश मानवीय और आर्थिक संकट से गुजर रहा है, जहां अधिकांश नागरिक गरीबी में हैं जबकि सत्ता से जुड़े कुछ लोग असीमित लाभ उठा रहे हैं। सरकार की हिंसक मशीनरी अपने ही नागरिकों पर दमन कर रही है और अब तक करीब 80 लाख लोग देश छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं। विपक्ष को चुनावी धांधली और फर्जी मुकदमों के जरिए जेलों में ठूंस दिया गया है।

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