न्यूज डेस्क
इजरायल से विरोध का ये नजारा अब पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया है। लोकतंत्र के समर्थन में हुए इस विरोध प्रदर्शन से नेतन्याहू सरकार घुटने पर आ गई है। इसराइल में पिछले कई हफ्तों से लोगों ने लोकतंत्र के पक्ष में अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है। हाइफ़ा जैसे शहरों में रिकॉर्ड स्तर पर प्रदर्शनकारी सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरे हैं। जबकि राजधानी तेल अवीव में क़रीब दो लाख लोग इन प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं। इजरायल के इतिहास में इसे अब तक का सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन कहा जा रहा है। दरअसल इसराइली सरकार ने देश की न्याय व्यवस्था में बड़े बदलावों की योजना का प्रस्ताव दिया है। इसके चलते बीते दस सप्ताह से देश में विरोध प्रदर्शन हुए। इजरायल के प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्र गान गाकर सरकार की नीति के प्रति अपनी नाराजगी का इजहार किया है।
इजरायल की जनता के इस विरोध प्रदर्शन की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। वहीं दबाव पड़ता देख प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने ‘न्यायिक सुधार कानून’ को फिलहाल वापस ले लिया है। सरकार ने कानून को ‘अस्थायी रूप से’ वापस लिया है। इस सुधार कानून से इजरायल के सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों को नियंत्रित किया जाना था। इसलिए इस कानून के खिलाफ लगभग तीन महीने से प्रदर्शन हुआ। अब नेतन्याहू सरकार ने अपने कदम वापस खींच लिए हैं। सरकार के फैसले के बाद लोगों ने विरोध प्रदर्शन को रोक दिया है। अपने संघर्ष के जज्बे से इजरायल की जनता ने दुनिया के दूसरे देशों के लिए एक मिसाल कायम किया है।