न्यूज़ डेस्क
दो दिन पहले आये भूकंप से तुर्किये और सीरिया की हालत बदतर हो गई है। चारो तरफ लाशो की ढेर है और घायलों से अस्पताल भर से गए हैं। 25 हजार से ज्यादा लोग भूकंप से जख्मी हुए है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि मौत का आंकड़ा 20 हजार से भी ज्यादा हो सकता है। दोनों देशों की मदद के लिए 70 से भी ज्यादा देश आगे आए हैं।
तुर्किये में अब तक 8 हजार लोगों को बचा लिया गया है। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए 24 हजार से ज्यादा बचाव कर्मी तैनात किए हैं। लगभग 3 लाख 80 हजार लोगों ने सरकारी शेल्टर और होटलों में शरण ली है। राष्ट्रपति रिसेप तैयप एर्दोआन ने 10 राज्यों में तीन महीने के लिए इमरजेंसी लगा दी है।
अब तक जो जानकारी सामने आयी है उसके मुताबिक़ तुर्किये में 5,894 लोगों की जान जा चुकी है और 34 हजार 810 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। सीरिया में 1,712 लोग मारे गए और 2 हजार से ज्यादा जख्मी हैं। तुर्किये में तीन ब्रिटिश नागरिक लापता हैं। कम से कम 35 ब्रिटिश नागरिक भूकंप से प्रभावित हुए हैं। तुर्किये की डिजास्टर मैनेजमेंट एजेंसी ने बताया कि 11 हजार 342 इमारतों के धराशायी होने की खबर है। सीरिया की जेल से आईएसआईएस के 20 आतंकी भाग निकले हैं। इनकी तलाश जारी है।
इंडियन एयरफोर्स का सी -17 विमान 2 एनडीआरएफ टीमों, डॉक्टरों और राहत सामग्री के साथ वहां पहुंच चुका है।
तुर्किये में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया जा चुका है। बता दें कि तुर्किये और सीरिया में सोमवार सुबह 3 बड़े भूकंप आए थे। तुर्किये के वक्त के मुताबिक, पहला भूकंप सोमवार सुबह करीब चार बजे (7.8), दूसरा करीब 10 बजे (7.6) और तीसरा दोपहर 3 बजे (6.0) आया। इसके अलावा 243 आफ्टर शॉक्स भी दर्ज किए गए। इनकी तीव्रता 4 से 5 रही। तुर्किये में मंगलवार सुबह 8.53 पर फिर भूकंप आया। इसके बाद दोपहर 12.41 बजे 5.4 तीव्रता का भूकंप आया। तुर्किये में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक है। 10 शहरों में इमरजेंसी और रेड अलर्ट जारी किया गया है। सभी स्कूल-कॉलेज एक हफ्ते बंद रहेंगे। 200 फ्लाइट्स रद्द कर दी गई हैं। 16 हजार लोग बचाव कार्य में लगे हुए हैं।
भूकंप का एपिसेंटर तुर्किये का गाजियांटेप शहर रहा। यह सीरिया बॉर्डर से 90 किमी दूर है। इसलिए इसके आसपास के इलाकों में ज्यादा तबाही हुई।कड़ाके की ठंड से बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है। तापमान माइनस में चला गया है। यूएन ने कहा है कि बर्फबारी और बारिश के कारण भूकंप से प्रभावित दोनों ही देशों में बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है। इमरजेंसी सर्विसेज की टीमों को रेस्क्यू में काफी दिक्कत हो रही है। तुर्किये के हताय प्रांत में एक आदमी ने रोते हुए रॉयटर्स को बताया कि इमारतों के ढेर में दबे लोग जान बचाने के लिए चीख रहे हैं। भूख, चोट और कड़ाके की ठंड से परेशान हैं।
वहीं, सीरिया में बचाव कार्यों में लगी व्हाइट हेलमेट्स की टीम के सदस्य रायद अल सालेह ने बताया कि जगह-जगह दबे लोगों को बचाने का काम वक्त के खिलाफ रेस की तरह लग रहा है।