तकनीक के मामले दुनिया काफी तरक्की कर चुकी है। ऐसे-ऐसे डिवाइस बन रहे हैं, जिनके बारे में जानकर लोग चौंक रहे हैं। अब चीनी रिसर्चर्स ने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की मदद से एक नया डिटेक्टर बनाया है, जिसे क्रिस्टल कैमरा कहा जा रहा है। यह कैमरा पेरोव्स्काइट क्रिस्टल से बना है, जो गामा किरणों को तेजी से कैच करता है। इससे SPECT स्कैन जैसी तकनीकों में सुधार होगा। यह कैमरा इंसानी शरीर के अंदर झांक सकता है, जिससे डॉक्टरों को हार्ट की एक्टिविटी, रक्तचाप और शरीर के अंदर छिपी बीमारियों को देखने में मदद मिलेगी। चलिए, जानते हैं कि यह कैमरा कैसे काम करता है
साइंस डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और चीन की सूजौ यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने यह कैमरा बनाया है। चीन द्वारा विकसित की गई नई तकनीक से मरीजों को कम रेडिएशन का सामना करना पड़ेगा। रिसर्चर मर्कूरी कनात्जिदिस और यिहुई हे ने इस क्रिस्टल को विकसित किया और इसे एक पिक्सलेटेड सेंसर में बदला, जैसे स्मार्टफोन कैमरे में पिक्सल होते हैं। यह Gama Rays की अलग-अलग ऊर्जा को आसानी से डिटेक्ट कर लेता है, कमजोर सिग्नल को भी पकड़ता है। इससे मेडिकल रेडियोट्रेसर से साफ और उससे जल्दी ही तस्वीरें मिल जाती हैं।
पहले से ऐसे उपकरण रहने के बावजूद इस क्रिस्टल कैमरे की जरूरत की बात करें तो इसकी निम्न वजहें है-
जो पुराने SPECT स्कैन हैं, उनमें एक रेडियोट्रेसर को मरीज के शरीर में डाला जाता है, जो Gama Rays छोड़ता है। ये Rays डिटेक्टर पकड़ता है और कंप्यूटर पर 3D तस्वीर में बदल देता है। अभी के डिटेक्टर कैडमियम जिंक टेल्यूराइड (CZT) या सोडियम आयोडाइड (NaI) से बनते हैं। CZT बहुत महंगा है और इसे बनाना मुश्किल है। दूसरी ओर सोडियम आयोडाइड सस्ता है, लेकिन इसकी तस्वीरें कम साफ होती हैं। ये दिखने में ठीक वैसी होती हैं, जैसे धुंधले शीशे से देखना। इन कमियों को के कारण रिसर्चर्स ने पेरोव्स्काइट क्रिस्टल का इस्तेमाल किया।
रिसर्चर्स द्वारा बनाए गए इस नए क्रिस्टल कैमरा से मरीजों को फायदा होगा। उन्हें कम रेडिएशन झेलनी होगी, इसके अलावा यह डिटेक्टर स्थिर है और लगभग सारा सिग्नल बिना नुकसान के पकड़ लेता है। इससे डॉक्टरों को सही-सही इलाज करने में मदद मिलेगी। यह पुराने डिटेक्टरों के मुकाबले सस्ता है, जिससे छोटे अस्पताल और क्लिनिक भी इसे खरीद सकेंगे। इससे ज्यादा मरीजों को बेहतर स्कैन की सुविधा मिलेगी।
यह तकनीक जल्दी हीबाजार में आ जायेगी।नॉर्थवेस्टर्न की कंपनी एक्टिनिया इंक जल्द ही इस तकनीक को बाजार में लाने की कोशिश कर रही है। रिसर्चर्स का कहना है कि यह तकनीक न्यूक्लियर मेडिसिन को बदल सकती है। इससे न केवल स्कैन बेहतर होंगे, बल्कि ज्यादा लोगों तक यह सुविधा पहुंचेगी। इसे और बेहतर करने और बड़े पैमाने पर बनाने की योजना है, ताकि यह तकनीक दुनिया भर के अस्पतालों में पहुंच सके।