न्यूज डेस्क
अक्टूबर का महीना अंतरिक्ष में अद्भुत नजारे लेकर आ रहा है। इस माह सूर्यग्रहण के साथ ही वर्ष के सबसे चमकीले चांद के दर्शन होंगे। साथ ही दशहरे के आसपास दो बार अंतरिक्ष में दिवाली जैसे नजारे दिखाई देंगे।
दो अक्टूबर को बरसात के बाद के धूल और प्रदूषण रहित वातावरण अमावस्या के अंधेरे में आकाश गंगाओं और तारा समूहों जैसी धुंधली वस्तुओं का निरीक्षण करने का बेतहरीन समय होगा।
दो अक्टूबर को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण भी लगेगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढकने के लिए पृथ्वी से बहुत दूर होता है। इसके परिणाम स्वरूप चंद्रमा के चारों और प्रकाश का एक घेरा बन जाता है जबकि इस दौरान सूर्य का कोरोना नजर नहीं आता है। हालांकि यह ग्रहण भारत से नजर नहीं आएगा।
इसका पथ दक्षिण अमेरिका के तट से प्रशांत महासागर में शुरू होगा और दक्षिणी चिली और अर्जेंटीना के कुछ हिस्सों से होकर गुजरेगा। आंशिक ग्रहण पूरे दक्षिणी अमेरिका के अधिंकाश हिस्सों में दिखाई देगा। सात अक्टूबर को ड्रेकोनिड्स उल्का बौछार चरम पर होगी जिसमें प्रति घंटे 10 उल्काएं देखी जा सकेंगी। यह उल्कापात धूमकेतु 21पी जियाकोबिनी जीनर के धूल कणों से उत्पन्न 20 उल्काएं प्रति घंटे नजर आएंगी।
17 अक्टूबर की पूर्णिमा बहुत ही खास होने वाली है। इस रात का सुपरमून पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होगा जो सामान्य से 15 फीसदी बड़ा और तीस फीसदी ज्यादा चमकदार नजर आएगा। आर्य भट्ट शोध एंव प्रेक्षण विज्ञान संस्थान एरीज से जुडे रहे अंतरिक्ष विज्ञानी शशिभूषण पांडे ने बताया कि चांद की पृथ्वी से सर्वाधिक दूरी चार लाख पांच हजार किमी होती है। जो प्रतिदिन घटती बढ़ती रहती है। 17 अक्टूबर को चांद पृथ्वी से इस दूरी के मुकाबले लगभग 48 हजार किमी ज्यादा निकट होगा और यह दूरी लगभग 3,57,000 किमी रह जाएगी।