न्यूज डेस्क
देश दुनिया में साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्कैमर्स और हैकर्स लोगों को अलग-अलग तरीके से ट्रिक कर अपने जाल में फंसा रहे हैं। कई बार लोगों के साथ ऐसा होता है कि उन्हें कोई कॉल या एसएमएस नहीं आता होता है लेकिन इसके बावजूद उनका बैंक अकाउंट और डेटा साफ हो जाता है। दरअसल, ये मैलवेयर की वजह से होता है जो उनके सिस्टम में बैकग्राउड में इंस्टाल हो जाता है फिर डेटा को रिमोट सर्वर पर भेजता है। मैलवेयर किसी भी तरीके से सिस्टम में आ सकता है।
अगर आप थर्ड पार्टी वेबसाइट, पाइरेटेड सॉफ्टवयेर, एडल्ट साइट आदि किसी भी सस्पीशियस वेबसाइट पर जाते हैं तो ये आपके मोबाइल या डेस्कटॉप में इनस्टॉल हो सकता है और आपको इसकी कानों-कान खबर भी नहीं होगी। हाल फिलहाल में वॉट्सऐप पर भी लोगों को फ्रॉड से जुड़े मेसेजेस आ रहे हैं। लगातार बढ़ रहे साइबर क्राइम को कम करने के लिए भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक सुरक्षा एजेंसी का गठन किया है जो लोगों को इस तरह के स्कैम से अवेयर करने का काम करती है। साथ ही अलग-अलग वेबसाइट की मॉनिटरिंग और नए थ्रेट्स के बार में जानकारी देती है। एजेंसी का नाम साइबर स्वच्छता केंद्र है। आप इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ज्यादा जानकारी हासिल कर सकते हैं।
ये वेबसाइट लोगों को मैलवेयर और बॉट से सिस्टम को बचाने के लिए कुछ टूल्स सजेस्ट करती है। इसमें ईस्कैन एंटीवायरस, K7 सुरक्षा और Quick Heal शामिल है। मोबाइल फोन से अगर आप मैलवेयर आदि को हटाना चाहते हैं तो इसके लिए आप M-Kavach 2 और ईस्कैन एंटीवायरस को डाउनलोड करें. M-Kavach 2 को C-Dac हैदराबाद ने आईटी के अंडर बनाया है।
क्या है साइबर स्वच्छता केंद्र?
साइबर स्वच्छता केंद्र सीईआरटी-इन का एक हिस्सा है। इस एजेंसी को Bot और मैलवेयर का पता लगाने और उन्हें सिस्टम से हटाने के लिए लोगों को अवेयर करने के लिए बनाया गया है। एजेंसी ऐप्स और मेसेजेस के माध्यम से लोगों को मैलवेयर के बारे में जानकारी देती हैं और इन्हें कैसे हटाया जा इस बारे में इनफार्मेशन देती है।